यूपी: अवैध नोट खपाने का अड्डा बना भारत- नेपाल सीमा का यह क्षेत्र

आयकर विभाग की इंवेस्टिगेशन विंग ने बहराइच स्थित रुपईडीहा में नेपाली करेंसी को खपाने के सुराग तलाशने के लिए कई व्यापारिक प्रतिष्ठानों का सर्वे किया। मंगलवार से शुरू हुई सर्वे की कार्रवाई आज भी जारी रही। इस दौरान अवैध तरीके से मनी एक्सचेंज करने वाले लोगों के जरिए नेपाली करेंसी को बदलने के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। आयकर विभाग इस प्रकरण की गहनता से जांच कर रहा है।

सूत्रों के मुताबिक आयकर विभाग को सूचना मिली थी कि रुपईडीहा के कुछ व्यापारिक प्रतिष्ठानों में नेपाली नागरिक सामान खरीदने के बाद नेपाली करेंसी देते हैं। बाद में यह करेंसी अवैध तरीके से बदल दी जाती है, जिसकी वजह से किसी भी बैंकिंग सिस्टम या मनी एक्सचेंज का कारोबार में इसका पता नहीं चल पाता है। इस हेराफेरी का पता लगाने के लिए राजधानी स्थित आयकर विभाग की जांच इकाई की टीमों को रुपईडीहा भेजा गया, जिसने मारुति मेगा मार्ट और फर्नीचर व इंटीरियर डेकोरेशन का कार्य करने वाली गुरुकृपा इंटरप्राइजेस के प्रतिष्ठानों पर सर्वे किया। इस दौरान एक कारोबारी की लोकेशन नेपाल में मिली, जिसे तत्काल वापस बुलाकर पूछताछ की गई। आयकर की टीमों ने दोनों प्रतिष्ठानों से तमाम दस्तावेज बरामद किए हैं, जिनकी गहनता से जांच की जा रही है। अधिकारियों को शक है कि यह तरीका तमाम अन्य कारोबारी भी अपना रहे हैं और करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी को अंजाम दिया जा रहा है।

बी-टू-बी एक्सचेंज में नहीं बदल रहे करेंसी

जांच में सामने आया कि किसी भी बैंक या बी-टू-बी मनी एक्सचेंज के जरिए नेपाली करेंसी को बदला नहीं जा रहा है। वहीं नेपाल में 500 रुपये के भारतीय नोटों पर प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से लिया जा रहा है। इससे यह आशंका जताई जा रही है कि नेपाली करेंसी के बदले 500 रुपये के भारतीय नोटों की अदला-बदली हो रही है। यह भी पता लगाने का प्रयास हो रहा है कि अवैध तरीके से मनी एक्सचेंज करने वाले इससे होने वाली आय को कहीं इस्लामिक या देश विरोधी गतिविधियों में तो नहीं खपा रहे हैं।

पहले से रडार पर नेपाल सीमा

बता दें कि नेपाल सीमा में हो रही आर्थिक गतिविधियाें पर आयकर विभाग बीते एक साल से पैनी नजर रख रहा है। आयकर विभाग ने बड़े पैमाने पर यूपीआई ट्रांजेक्शन के जरिए चेन्नई की एक धार्मिक संस्था द्वारा फंडिंग करने के प्रमाण भी जुटाए थे, जिसे नेपाल सीमा पर मस्जिद, मदरसों आदि का निर्माण कराने में खर्च किया जा रहा था। इसी रैकेट की जांच के दौरान आयकर विभाग को नेपाली करेंसी के अवैध तरीके से बदलने के बारे में सुराग मिले थे।

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