भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आज केरल विधानसभा चुनाव के लिए मेट्रोमैन ई. श्रीधरन के नाम की घोषणा की थी। लेकिन अब खबर आ रही है कि पार्टी ने उनका नाम वापस ले लिया है। आपको बता दें कि उन्होंने हाल ही में भगवा पार्टी के रास्ते राजनीति में एंट्री ली थी। 88 वर्षीय श्रीधरन ने बीते सप्ताह ही बीजेपी ज्वाइन की थी।
केरल में बीजेपी के प्रमुख के सुरेंद्रन ने विजय यात्रा के दौरान श्रीधरन को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था, ”पार्टी जल्द ही अन्य उम्मीदवारों की लिस्ट भी जारी करेगी।”
आपको बता दें कि इससे पहले केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन ने ट्वीट कर कहा था, “केरल में भाजपा बतौर मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में ई. श्रीधरन के साथ चुनाव लड़ेगी। हम केरल के लोगों के लिए भ्रष्टाचार मुक्त, विकासोन्मुख शासन प्रदान करने के लिए सीपीएम और कांग्रेस दोनों को हराएंगे।”
हालांकि, मंत्री ने बाद में समाचार एजेंसियों एएनआई से कहा, “मैं जो बताना चाहता था वह यह था कि मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से मुझे पता चला कि पार्टी ने यह घोषणा की है। बाद में, मैंने पार्टी प्रमुख के साथ क्रॉस-चेक किया जिन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसी कोई घोषणा नहीं की है।’ मुरलीधरन केंद्र सरकार में राज्य मंत्री हैं। उन्होंने एक इससे पहले एक इंटरव्यू में हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया था कि श्रीधरन सार्वजनिक सेवा में रहे हैं। उनके अनुभव के साथ भाजपा आगे की प्रगति करेगी। उन्होंने कहा था कि 85 साल के उम्र में भी वह चुस्त-दुरुस्त हैं।
श्रीधरन 25 फरवरी को औपचारिक रूप से बीजेपी में शामिल हो गए थे। उन्होंने केरल के मलप्पुरम में बीजेपी के एक कार्यक्रम में पार्टी ज्वाइन की। हालांकि, उन्होंने कुछ समय पहले ही ऐलान कर दिया था कि वे बीजेपी में शामिल होंगे। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा था कि अगर बीजेपी चाहे तो वह विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और यदि पार्टी कहे तो वह मुख्यमंत्री पद के लिए भी तैयार हैं।
मेट्रो मैन के रूप में जाने जाने वाले और बड़ी बुनियादी परियोजनाओं को पूरा करने में कुशल माने जाने वाले 88 वर्षीय टेक्नोक्रेट ने यह भी कहा था कि उनका मुख्य उद्देश्य बीजेपी को केरल में सत्ता में लाने में मदद करना है। भारतीय जनता पार्टी में श्रीधरन की एंट्री को केरल में पार्टी के लिए एक प्रमुख प्रोत्साहन के रूप में देखा जा रहा है।
‘राज्यपाल का पद संभालने में कोई दिलचस्पी नहीं’
बीजेपी में शामिल होने से पहले श्रीधरन ने स्पष्ट कर दिया था कि राज्यपाल का पद संभालने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह संवैधानिक पद है और कोई शक्ति नहीं है और वह ऐसे पद पर रहकर राज्य के लिए कोई सकारात्मक योगदान नहीं दे पाएंगे। उन्होंने कहा था कि मेरा मुख्य मकसद बीजेपी को केरल में सत्ता में लाना है। अगर भाजपा केरल में चुनाव जीतती है तो तीन-चार ऐसे क्षेत्र होंगे जिसपर हम ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। इसमें बड़े स्तर पर आधारभूत संरचना का विकास और राज्य में उद्योगों को लाना शामिल है।