बिहार: हरूहर नदी ने बनाया हजारों को जलकैदी, 24 गांवों में बाढ़ जैसे हालात

शेखपुरा जिले में गंगा की सहायक हरुहर नदी इस समय उफान पर है। नदी के रौद्र रूप ने घाटकुसुंभा प्रखंड की पांच पंचायतों के करीब 24 गांवों को जलमग्न कर दिया है। हजारों लोग पिछले 20 दिनों से जलकैद की स्थिति में जीने को विवश हैं। डीह कुसुंभा, पानापुर, गगौर, माफो और भदौसी पंचायत पूरी तरह प्रभावित हैं। नदी का उल्टा बहाव हजारों एकड़ में लगी धान और मक्का की फसलों को बर्बाद कर चुका है। सैकड़ों घर पानी में डूब गए हैं, जिससे लोग छत और ऊंचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि घरों में कमर भर पानी है और चापाकल डूब चुके हैं, जिससे पीने का पानी बड़ी समस्या बन गया है। लोग सड़क से किसी तरह पानी लाकर उपयोग कर रहे हैं। वहीं धूप और उमस भरी गर्मी के बीच छत पर रहना कठिन हो गया है। ग्रामीण महिला कारी देवी ने कहा कि छत पर रहने के कारण बड़ी समस्या हो गई है। मवेशियों के लिए चारा नहीं है और वे आधा पेट खाकर जी रहे हैं। वहीं सांप–बिच्छू का खतरा भी लगातार बना हुआ है।

प्रशासन पर लापरवाही का आरोप

ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता मनोज राम ने कहा , “पिछले 20 दिनों से जलकैद में हैं, लेकिन अब तक कोई राहत सामग्री नहीं पहुंचाई गई। अधिकारी केवल टाल क्षेत्र का दौरा कर फोटो खिंचवाकर लौट जाते हैं। पीड़ित परिवारों की सुध तक नहीं लेते।” सबसे विकट स्थिति पानापुर पंचायत की बताई जा रही है, जहां पुल पर चार फुट से अधिक पानी बह रहा है। इस कारण पंचायत की पांचों गांवों का प्रखंड और जिला मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह टूट गया है।

दोहरी नीति पर नाराजगी

स्थानीय लोग सरकार की दोहरी नीति से नाराज हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हरुहर नदी के एक किनारे का इलाका (लखीसराय जिला, बड़हिया प्रखंड) बाढ़ग्रस्त क्षेत्र घोषित है, जहां सामुदायिक किचन और राहत कार्य चलाए जाते हैं। जबकि दूसरे किनारे का इलाका (शेखपुरा, घाटकुसुंभा) केवल जलजमाव क्षेत्र माना जाता है, जिससे प्रभावित लोगों को न तो मुआवजा मिलता है और न ही राहत सामग्री। ग्रामीणों ने सरकार से शीघ्र राहत कार्य शुरू करने और इलाके को बाढ़ग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की मांग की है।

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