बिहार: राजद में शामिल हुए सारण के पूर्व जिलाध्यक्ष अल्ताफ राजू

बिहार के सारण जिले से बड़ी राजनीतिक खबर सामने आई है। जिले के निवर्तमान जदयू जिलाध्यक्ष अल्ताफ आलम राजू ने देर रात अपने पुराने मित्र शैलेंद्र प्रताप सिंह के साथ पटना जाकर तेजस्वी यादव से मिलकर रात 11:30 बजे राजद की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की। जानकारी के अनुसार, मढ़ौरा विधानसभा क्षेत्र से टिकट न मिलने के कारण अल्ताफ आलम राजू पहले बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन कर चुके थे। लेकिन राजनीतिक साजिश के तहत तकनीकी कारण बताकर उनका नामांकन रद्द कर दिया गया था। राजद की सदस्यता ग्रहण करने के बाद अल्ताफ आलम राजू ने कहा कि वे तेजस्वी यादव की विचारधारा से प्रेरित होकर पार्टी में शामिल हुए हैं। इस निर्णय में उनके पुराने मित्र और तरैया से राजद प्रत्याशी शैलेंद्र प्रताप सिंह की अहम भूमिका रही, जिनके प्रति उन्होंने आभार भी व्यक्त किया।

अल्ताफ आलम राजू ने याद दिलाया कि वर्ष 2005 में जब पार्टी का कोई जनाधार नहीं था, तब जॉर्ज फर्नांडिस ने उन्हें जदयू की प्राथमिक सदस्यता दिलाई थी। तब से उन्होंने तन, मन और धन से पार्टी के लिए काम किया। राजद में शामिल होने के बाद सोशल मीडिया पर तेजस्वी यादव के साथ छपरा से राजद प्रत्याशी और भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार शत्रुघ्न यादव उर्फ़ खेसारी लाल यादव, तरैया से शैलेंद्र प्रताप सिंह, मढ़ौरा से जितेंद्र कुमार राय और अल्ताफ आलम राजू की फोटो वायरल हो रही है।

बताया गया कि वर्ष 2020 में मढ़ौरा विधानसभा सीट से जदयू प्रत्याशी रहे अल्ताफ आलम राजू को इस बार राजनीतिक साजिश के तहत टिकट काटकर लोजपा (आर) को दे दिया गया। इसके बाद उन्होंने बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया, लेकिन इसमें भी साजिश करते हुए उनका नामांकन रद्द करवा दिया गया। राजनीतिक प्रताड़ना के कारण उन्होंने चुनाव के दौरान राजद की सदस्यता ग्रहण की।

अल्ताफ आलम राजू की सदस्यता ग्रहण के बाद मढ़ौरा और तरैया सहित जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों में राजनीतिक समीकरण बदलने की संभावना जताई जा रही है। जदयू ने इससे पहले पार्टी विरोधी कार्य करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं को निष्कासित करने का पत्र जारी किया था, लेकिन उसमें अल्ताफ आलम राजू का नाम शामिल नहीं था।

अल्ताफ आलम राजू ने अमर उजाला से विशेष बातचीत में कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द घूमने वाले नेता जैसे जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और विजय चौधरी ने एक साजिश के तहत मुख्यमंत्री की राजनीतिक हत्या की योजना बनाई थी। इसका नतीजा यह हुआ कि पिछली विधानसभा चुनाव में मढ़ौरा में लोजपा आर के उम्मीदवार को लगभग 6,000 वोट मिले, जबकि एकमा और बनियापुर में लोजपा आर के प्रत्याशियों को 30,000 से अधिक वोट मिले। लेकिन मढ़ौरा को लोजपा के खाते में क्यों दिया गया, इसमें राजनीतिक साजिश की बू आती है।

उन्होंने आगे कहा कि जदयू ने मढ़ौरा का टिकट देने के बाद पार्टी आलाकमान या किसी वरिष्ठ नेता की ओर से एक कॉल तक नहीं किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केवल उर्दू परामर्शदात्री समिति का सदस्य बनाकर उन्हें थोड़ा सम्मान दिया। इससे बड़ा पद जिला बीस सूत्री क्रियान्वयन समिति का उपाध्यक्ष हो सकता था। इसके बावजूद उन्होंने जदयू से बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया।

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