पहाड़ों के पानी से पंजाब में तबाही, पीएम मोदी ने अधिकारियों को दी सलाह

पंजाब में अतिरिक्त पानी के भंडारण के लिए नए ढांचों का निर्माण किया जाएगा। जल संचय जन भागीदारी कार्यक्रम के तहत वाटर रिचार्ज और भंडारण के लिए यह निर्माण केंद्र की मदद और राज्य सरकार के सहयोग से होगा।

मंगलवार को अपने पंजाब दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संदर्भ में अफसरों संग चर्चा भी की थी। उन्होंने इस कार्यक्रम को पंजाब के लिए काफी अहम बताया था। यदि भौगोलिक व पारिस्थितिक स्थिति देखी जाए तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि पहाड़ों का पानी ही पंजाब के मैदानी इलाकों में तबाही मचाता है। अत्यधिक मानसून के दौरान हालात ज्यादा खराब हो जाते हैं। ऐसे में बांधों से भी पानी छोड़ना मजबूरी हो जाता है और यही पानी पंजाब में तबाही मचाता है। इसी अतिरिक्त पानी को संभालना व उसका प्रबंधन करना पंजाब के लिए बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

मंगलवार को अफसरों संग बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को इन हालात से अवगत करवाया गया। उन्हें इसी वजह से पंजाब में डेढ़ दशक के दौरान बने बाढ़ जैसी स्थितियों और उनके कारणों के बारे में बताया गया। पंजाब भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ बताते हैं कि पंजाब की परिस्थितियां जानने के बाद प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि जल संचय जन भागीदारी कार्यक्रम के तहत पंजाब में पानी बचत के लिए रिचार्ज ढांचों का व्यापक निर्माण किया जाएगा। इसके अंतर्गत क्षतिग्रस्त रिचार्ज ढांचे की मरम्मत और अतिरिक्त पानी के भंडारण के लिए नए ढांचे बनाए जाएंगे। केंद्र इसमें राज्य सरकार की पूरी मदद करेगा।

जल प्रबंधन पर रहेगा फोकस

भारत सरकार ने जल संचय को बढ़ावा देने के लिए कई जन भागीदारी कार्यक्रम शुरू किए हुए हैं। ये कार्यक्रम जल संरक्षण, जल प्रबंधन और जल संसाधनों के उपयोग पर केंद्रित हैं। इनमें स्मार्ट गांव परियोजना के तहत गांवों को जल प्रबंधन और संरक्षण के लिए स्मार्ट तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

जल शक्ति अभियान जल संरक्षण और संवर्धन पर केंद्रित है। इसमें लोगों को जल संचय की तकनीकों के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अतिरिक्त रेनवाटर हार्वेस्टिंग के तहत घरों, गांवों और सार्वजनिक भवनों में बारिश के पानी को संचित करने की व्यवस्था को प्रोत्साहित किया जाता है। दरअसल, अतिरिक्त पानी के भंडारण के लिए नए ढांचों का निर्माण एक अहम प्रक्रिया है, जो जल प्रबंधन को सुधारने में सहायक होती है।

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