नगरा (बलिया) : केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार भले ही ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को चुस्त -दुरुस्त करने की कवायद में जुटी है कितु इससे इतर जनपद के सबसे बडे़ विकास खंड नगरा में ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से चरमरा गई हैं। आलम यह है कि आज भी ग्रामीण क्षेत्रों के मरीज इलाज के लिए सुदूर स्थित बलिया व मऊ की भाग दौड़ कर रहे हैं। स्थानीय स्तर पर मरीजों के उपचार की सुविधा नही मिल पा रही है।
नगरा मुख्यालय के पीएचसी व कसौंडर पीएचसी को छोड दिया जाय तो आधा दर्जन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आज भी चिकित्सक नही हैं। यहां की स्वास्थ्य सुविधाएं राम भरोसे हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मालीपुर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भीमपुरा नंबर दो, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खंदवां, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र इंद्रौली, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किशोरगंज फार्मेसिस्ट के भरोसे चल रहे हैं। इन सभी अस्पतालों की दूरी नगरा मुख्यालय से 10 से 15 किलोमीटर के बीच है। कतिपय स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात फार्मेसिस्ट भी अक्सर गायब रहते हैं। एएनएम भी लापता रहती हैं। मालीपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन का निर्माण 5 किलोमीटर दूर कैथी खतीमपुर ग्राम पंचायत में कराया गया है।
यहां महत्वपूर्ण तो यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सकों की तैनाती को लेकर न तो जनप्रतिनिधि ही संवेदनशील हैं और न ही स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारी ही ध्यान दे रहे हैं। सुदूर ग्रामीण अंचलों में स्थित इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर यदि कभी किसी चिकित्सक की तैनाती होती भी है तो ज्वाइन करने से पूर्व ही वे अपना स्थानान्तरण किसी बाजार या शहर के अस्पताल पर करा लेते हैं। चिकित्सक विहीन इन अस्पतालों पर दो मार्च से मुख्यमंत्री आरोग्य मेले का आयोजन भी किया जा रहा है। इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत आयुष चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई गई है।
प्रभारी चिकित्साधिकारी डा.एसके गुप्त का कहना है कि चिकित्सकों की कमी के चलते इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डाक्टरों की तैनाती नही हो पा रही है। ग्रामीण क्षेत्र के इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सकों की तैनाती के लिए बराबर उच्चाधिकारियों के यहां पत्र व्यवहार किया जाता है। फार्मासिस्टों की नियमित उपस्थिति की जांच की जाएगी।