दिल्ली: संशोधित ग्रेप को मंजूरी, वाहन प्रदूषण पर विशेषज्ञ समिति गठित

राजधानी की दमघोंटू हवा पर नकेल कसने की तैयारी तेज हो गई है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने 26वीं पूर्ण बैठक में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत संशोधित ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) को हरी झंडी दे दी है।

राजधानी की दमघोंटू हवा पर नकेल कसने की तैयारी तेज हो गई है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने 26वीं पूर्ण बैठक में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत संशोधित ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) को हरी झंडी दे दी है। इसके साथ ही वाहनों से फैल रहे प्रदूषण पर सख्ती के संकेत देते हुए आयोग ने विशेषज्ञ समिति के गठन, इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और उच्च प्रदूषण स्तर पर बिना ढील के कठोर कदम उठाने का फैसला किया है।

सीएक्यूएम के अध्यक्ष राजेश वर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि ग्रेप के उच्च चरण लागू होने पर अब निचले चरणों में तय सभी पाबंदियां स्वतः जारी रहेंगी, जिससे आधे-अधूरे कदमों पर रोक लगेगी। आयोग ने स्पष्ट किया कि निर्बाध बिजली आपूर्ति, ट्रैफिक जाम में कमी, निर्माण गतिविधियों पर सख्त निगरानी, लोगों को समय पर स्वास्थ्य सलाह और सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को मजबूत करना अनिवार्य होगा।

बैठक में यह भी तय किया गया कि मोटर वाहन एग्रीगेटर, डिलीवरी और ई-कॉमर्स कंपनियों को शून्य-उत्सर्जन वाहनों की ओर तेजी से बढ़ना होगा, ताकि सड़कों पर बढ़ते प्रदूषण को काबू में किया जा सके।वाहन प्रदूषण पर फोकस बढ़ाते हुए आयोग ने आईआईटी मद्रास के प्रो. अशोक झुंझुनवाला की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दी, जो उत्सर्जन के आकलन, स्वास्थ्य प्रभाव, स्वच्छ गतिशीलता रणनीति, ईवी तत्परता और नियामक उपायों पर सिफारिशें देगी। आयोग ने प्रस्ताव किया कि मौजूदा बेड़े में 31 दिसंबर 2026 तक बीएस-VI पेट्रोल दोपहिया वाहनों को शामिल करने की अनुमति होगी, जबकि अन्य पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन (आईसीई) वाहनों पर 1 जनवरी 2026 से प्रतिबंध लागू रहेगा, जिससे राजधानी की हवा सुधारने के लिए दबाव और सख्त होने के संकेत मिलते हैं।

पराली जलाने की घटनाओं में लगभग 92 फीसदी की कमी
आयोग ने कहा कि पिछले वर्षों की तुलना में एनसीआर में पराली जलाने की घटनाओं में करीब 92 फीसदी की कमी आई है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को अगले वर्ष के कटाई मौसम के लिए राज्य कार्य योजना तैयार करने और निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। आयोग ने सीएंडडी कचरे से उत्पन्न धूल को पीएम10 और पीएम2.5 में योगदान देने वाला मुख्य कारण बताया। नगर निकायों और विकास प्राधिकरणों को संग्रहण, भंडारण और प्रसंस्करण की व्यवस्था मजबूत करने और कचरे के निपटान के सत्यापन के लिए तंत्र स्थापित करने के निर्देश दिए।

आदेशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश
हाल ही, में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, बीएस-IV और उसके बाद के उत्सर्जन मानक वाले वाहनों के लिए सुरक्षा जारी है, जबकि बीएस-III और कम उत्सर्जन वाले अत्यधिक प्रदूषणकारी वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति दी गई है। आयोग ने प्रवर्तन एजेंसियों को आदेशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। बैठक में सभी क्षेत्रों में, विशेषकर सर्दियों के मौसम में, लगातार कड़ी निगरानी, समन्वित प्रवर्तन और वैधानिक निर्देशों के प्रभावी कार्यान्वयन पर जोर दिया गया। सभी एजेंसियों ने वायु प्रदूषण नियंत्रण उपायों की नियमित समीक्षा और ग्रेप सहित अन्य उपायों के तहत सख्त कार्रवाई करने की प्रतिबद्धता जताई।

ग्रेप-4 में भी धड़ल्ले से चल रहा कोंडली का ब्रिक प्लांट
दिल्ली में गंभीर प्रदूषण के चलते ग्रेप-4 की सख्त पाबंदियां लागू होने के बावजूद कोंडली स्थित दिल्ली सरकार के अधीन एसटीपी प्लांट में ब्रिक प्लांट के संचालन को लेकर आम आदमी पार्टी ने भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। आप के प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ब्रिक प्लांट का वीडियो साझा करते हुए कहा कि भाजपा सरकार केवल प्रचार और नौटंकी में व्यस्त है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एक तरफ भाजपा सरकार ग्रेप-4 के नाम पर तंदूर तक बंद करा रही है और निर्माण गतिविधियों पर रोक लगा रही है, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली सरकार के ही एसटीपी प्लांट परिसर में ब्रिक प्लांट से जबरदस्त धुआं निकल रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या प्रदूषण कम करने की जिम्मेदारी सिर्फ दिल्लीवालों और विपक्ष की ही है? कोंडली से आप विधायक कुलदीप कुमार ने मौके पर पहुंचकर ब्रिक प्लांट का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि यहां एसएसपी प्राइवेट लिमिटेड संचालित स्लज मैनेजमेंट प्लांट चल रहा है, जहां एसटीपी से निकलने वाले कचरे से ईंटें बनाई जा रही हैं। कुलदीप कुमार ने कहा कि ग्रेप-4 के तहत इस तरह की गतिविधियों पर पूरी तरह प्रतिबंध है, इसके बावजूद नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

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