World Water Day 2021: आज दुनिया में पानी का संकट खड़ा हो रहा है। जहां हर क्षेत्र तरीकी कर रहा है। वहीं अब भी लोगों को स्वच्छ जल नहीं मिल रहा है। यहां तक की कई विद्धानों का कहना है कि अगला विश्व युद्ध पानी को लेकर होगा। मनुष्य पानी की महत्व को भूलता जा रहा है, जिसके चलते आज जल संकट सबके सामने है। इसी उद्देश्य से पानी की महत्ता लोगों को समझाने के लिए विश्व जल दिवस की शुरुआत हुई।
विश्व जल दिवस का इतिहास
विश्व जल दिवस मनाने की अंतरराष्ट्रीय पहल ब्राजील में रियो डि जेनेरियो में 22 मार्च 1992 में आयोजित पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में की गई। साल 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने अपने सामान्य सभा में निर्णय लेकर इस दिन को वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मनाने का निर्णय लिया।
महत्वपूर्ण तथ्य
– मुंबई में हर दिन गाड़ियों को धोने में 50 लाख लीटर पानी खर्च होता है।
– दिल्ली, मुंबई और चेन्नई में पाइप लाइनों के वॉल्व खराब होने के कारण 17 से 40 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है।
– इजराइल में औसत 10 सेंटीमीटर बरसात होती है। इस बारिश में वह अनाज पैदा कर लेता है। जबकि भारत में इससे अधिक पानी गिरने के बावजूद अनाज की कमी रहती है।
– भारत में महिलाएं पीने के पानी के लिए करीब 6.4 कि.मी सफर पैदल तय करती हैं।
– पृथ्वी का 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सा पानी से भरा है। लेकिन मीठे जल की मात्रा काफी कम है। 97.3 प्रतिशत पानी खारा है, जो पीने लायक नहीं है।
– अगर ब्रश करते समय नल खुला रखा जाए तो पांच मिनट में करीब 20 से 25 लीटर पानी बर्बाद होता है।
– दुनिया में 10 में से 2 व्यक्तियों को पीने का साफ पानी नहीं मिलता।
– पीने के लिए इंसान को हर दिन 3 लीटर और पशुओं को 50 लीटर पानी की जरूरत होती है।
– पृथ्वी में पैदा होने वाली सभी वनस्पतियों से इंसानों को पानी मिलता है।
– एक किलो गेहूं उगाने के लिए एक हजार लीटर और एक किलो चावल उगाने के लिए चार हजार लीटर पानी की जरूरत होती है।
विश्व जल दिवस की थीम
1. साल 2021- वेल्यूइंग वाटर
2. साल 2020- जल और जलवायु परिवर्तन
3. साल 2019- किसी को पीछे नहीं छोड़ना
4. साल 2018- जल के लिए प्रकृति के आधार पर समाधान
5. साल 2017- अपशिष्ट जल
6. साल 2016- जल और नौकरियां
7. साल 2015- जल और दीर्घकालिक विकास
8. साल 2014- जल और ऊर्जा
9. साल 2013- जल सहयोग
10. साल 2012- जल और खाद्य सुरक्षा