
नायका, पेटीएम और लेंसकार्ट जैसे आईपीओ में ऊंचे भाव पर बेचे गए शेयरों का मामला अब तूल पकड़ रहा है। सेबी के पूर्णकालिक सदस्य कमलेश वार्ष्णेय ने कहा, आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) का मूल्यांकन कोई नियामकीय कमी नहीं है। लेकिन हमें यह देखना होगा कि खुदरा निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए हम किस तरह से और अधिक सुरक्षा उपाय कर सकते हैं।
बृहस्पतिवार को ही सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने भी आईपीओ में शेयरों के ऊंचे मूल्य को लेकर चिंता जताई थी। हालांकि, उन्होंने कहा कि आईपीओ मूल्यांकन में नियामक हस्तक्षेप नहीं करेगा।। इससे पहले विश्लेषकों और बड़े निवेशकों ने भी लेंसकार्ट आईपीओ के ऊंचे भाव को लेकर सवाल उठाया था। लेंसकार्ट का इश्यू 382-402 रुपये के भाव पर आया था। लिस्टिंग के बाद इसकी पूंजी 69,700 करोड़ रुपये होगी। यह 28.26 गुना भरा था।
कमलेश वार्ष्णेय ने मुंबई में एक कार्यक्रम में कहा कि बाजार नियामक का पूंजीगत मुद्दे के नियंत्रण से दूर जाना एक सही कदम है, लेकिन एंकर निवेशकों की ओर से मूल्यांकन उचित, प्रभावी और कुशलतापूर्वक हो। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह एक नियामक अंतर है, लेकिन यह विचार के लिए अच्छा है। चाहे इस समय किया जा रहा मूल्यांकन सही हो या नहीं। हमने देखा है कि बहुत सारे आईपीओ आ रहे हैं, जहां खुदरा निवेशक मूल्यांकन को लगातार चुनौती दे रहे हैं।
अल्पसंख्यक शेयरधारकों से मिल रही हैं शिकायतें
वार्ष्णेय ने कहा, जब एंकर निवेशक मूल्यांकन कर रहे हों, तो सेबी को खुद को इससे दूर रखना चाहिए। जो वह कर रहा है और जो शायद सही भी है, लेकिन इस स्थिति से समझौता किए बिना हम यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि एंकर निवेशकों द्वारा मूल्यांकन भी उचित, प्रभावी और कुशलतापूर्वक हो रहा है। हमें अल्पसंख्यक शेयरधारकों से बहुत सारी शिकायतें मिल रही हैं कि उनके हितों से समझौता किया गया है। यह एक और नियामकीय कमी है और मेरी राय में शायद सेबी को भविष्य में इस पर काम करना होगा।
एसएलबी की समीक्षा के लिए बनेगा समूह
सेबी जल्द ही शॉर्ट सेलिंग और प्रतिभूति उधार एवं उधार (एसएलबी) ढांचों की समीक्षा के लिए कार्यसमूह का गठन करेगा। सेबी चेयरमैन ने कहा, 2007 में शुरू किया गया शॉर्ट सेलिंग ढांचा अब तक लगभग अपरिवर्तित रहा है। 2008 में लागू एसएलबी को कई बार संशोधित किया गया है लेकिन वैश्विक बाजारों की तुलना में अब भी अविकसित है। इसके भी पुनर्मूल्यांकन की जरूरत है। एसएलबी व्यवस्था के तहत डीमैट खातों में शेयर रखने वाले निवेशक या संस्थान शुल्क लेकर उन्हें अन्य बाजार सहभागियों को उधार दे सकते हैं। यह लेन-देन स्टॉक एक्सचेंज प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया जाता है।
पांडे ने कहा, स्टॉकब्रोकर और म्यूचुअल फंड नियमों की समीक्षा पहले से ही चल रही है। हम जल्द ही लिस्टिंग ऑब्लिगेशन्स एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स 2015 और निपटान नियमों की गहन समीक्षा करेंगे। वैश्विक निवेशकों का भारत की विकास गाथा में दृढ़ विश्वास बना हुआ है।



