नईदिल्ली: रूस ने एक बार फिर भारत को दगा दिया है। सदियों से दोस्त रहे रूस ने पाकिस्तान को सपोर्ट करना शुरू कर दिया है।
पाकिस्तान और रूस ने बुधवार को इस्लामाबाद में द्विपक्षीय वार्ता की। यह पहला मौका है, जब दोनों देशों के बीच बातचीत हुई है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस दौरान कई क्षेत्रीय मुद्दों और आपसी हितों से जुड़े मामलों पर चर्चा हुई।
इसके अलावा आर्थिक सहयोग एवं संपर्क पर भी बात हुई। मंत्रालय ने कहा, ‘दोनों पक्षों ने महत्वपूर्ण क्षेत्रीय एवं वैश्विक घटनाओं पर बातचीत की। इस मीटिंग में यह फैसला भी लिया गया कि दोनों पक्षों के बीच 2017 में मॉस्को में वार्ता आयोजित होगी।’
पाक विदेश मंत्रालय के पश्चिम एशिया मामलों के डायरेक्टर जनरल अहमद हसैन दायो ने इस वार्ता में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। वहीं, रूसी विदेश मंत्रालय की ओर से अलेक्जेंडर वी. स्टेरनिक ने डेलिगेशन का नेतृत्व किया। सितंबर में रूसी और पाकिस्तानी सैनिकों ने पहली बार संयुक्त सैन्य अभ्यास किया था। दोनों देशों की सेनाओं ने पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा के चेरात में आयोजित सैन्य अभ्यास में हिस्सा लिया था।
इस जॉइंट ड्रिल को ‘फ्रेंडशिप 2016’ का नाम दिया गया था। इस सैन्याभ्यास को देनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों के तौर पर देखा गया था। दोनों देश शीत युद्ध के दौरान प्रतिद्वंद्वी थे। 2011 में अमेरिका के एक गुप्त अभियान में पाकिस्तान के एबटाबाद में अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मार गिराए जाने और नाटो सेनाओं के हमले में अफगान सीमा पर 24 पाक सैनिकों के मारे जाने के बाद से पाकिस्तान ने रूस के साथ अपने संबंधों को मधुर बनाने की कोशिशें तेज की हैं।
इन दोनों घटनाओं के बाद पाकिस्तान के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र में नई विदेश नीति को मंजूरी दी गई थी, जिसमें रूस के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की बात भी शामिल थी। अपने पुराने सहयोगी रहे भारत को खुश रखने के लिए रूस लंबे समय से पाकिस्तान को नजरअंदाज करता रहा है। बीते 15 महीनों में पाकिस्तानी सेना, नेवी और एयर फोर्स के चीफ रूस की यात्रा पर गए हैं और दोनों देशों के बीच 4 MI-35 हेलिकॉप्टर्स को लेकर डील भी हुई। पाकिस्तान के साथ संबंध बढ़ाने को रूस की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। अमेरिका और भारत में नजदीकी बढ़ने के साथ ही रूस ने पाकिस्तान की ओर रुख करने की नीति अपनाई है।