पंजाब सरकार के कृषि विधेयकों को भी किसानों ने ठुकराया, सेवा बहाल होने की उम्‍मीद टूटी

पंजाब में आंदोलनकारी किसानों और सरकार के मंत्रियों के बीच वार्ता‍ फिर विफल हो गई। राज्य में रेल ट्रैक खाली करने के लिए किसानों को मनाने में लगे राज्य के तीनों कैबिनेट मंत्री कामयाब नहीं हो पाए। किसानों ने राज्‍य के तीन मंत्रियों के साथ हुई बैठक में पंजाब सरकार द्वारा विधानसभा में पारित कराए गए कृषि विधेयकों को खारिज कर दिया। इस‍के साथ ही किसानों ने विभिन्‍न स्‍थानों पर रेल ट्रैकोंं पर डटे रहने का फैसला किया। इससे राज्‍य में रेल सेवा बहाल होने और मालगाडि़यां भी चलने की उम्‍मीद टूट गई। किसान पांच निजी थर्मल पावर प्‍लांटों की ओर जाने वाले रेल ट्रैक को जाम करके बैठे हैं।

अमृतसर में भी मंत्रियों से बैठक बेनतीजा, ट्रैक पर डटे रहेंगे किसान

इसके साथ ही उन्होंने रेल ट्रैक से हटने का फैसला भी अन्य किसान संगठनों के साथ बैठक के बाद लेने का फैसला किया है। इसके साथ ही किसानों ने यह भी स्पष्ट किया कि मालगाडिय़ों के लिए ट्रैक खाली हैं लेकिन केंद्र सरकार जानबूझ कर इन्हें चलाने से पीछे हट रही है। किसानों ने इस दौरान पंजाब सरकार की तरफ गन्ना का 400 करोड़ रुपये का बकाया का भी मुद्दा उठा। कैबिनेट मंत्री रंधावा ने बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि किसानों के शिष्टमंडल को 3नवंबर को चंडीगढ़ में अटार्नी जनरल के साथ बैठक रखी है। उसमें किसानों की एक-एक मांग पर चर्चा होगी।

अमृतसर में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के छह सदस्यीय शिष्टमंडल की कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, सुखविंदर सिंह सुख सरकारिया और तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा के साथ मीटिंग में किसानों ने विधानसभा में सरकार की ओर से पेश कृषि विधेयकों को सिरे से नकार दिया। किसानों के प्रतिनिधियों ने मंत्रियों से पूछा कि विधेयक बनाने से पहले किसानों से विचार क्यों नहीं किया गया।

रेलवे ट्रैक पर डटे रहने का किया फैसला

उधर, बठिंडा में भाकियू उगराहां की बैठक हुई। इस बैठक में भी रेल ट्रैक पर डटे रहने का फैसला लिया गया है। भाकियू उगराहां के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां ने केंद्र सरकार की ओर से छठे दिन भी मालगाडिय़ां बंद रखने को पंजाब और जम्मू कश्मीर की खेती, व्यापार और उद्योग के खिलाफ आर्थिक नाकाबंदी बताया। उन्होंने कहा कि किसानों ने सरकारी थर्मल प्लांटों के लिए कोयला लाने के रास्ते खोल दिए हैं, सरकार इन्हें अपनी पूरी क्षमता से क्यों नहीं चलाती। सरकार निजी थर्मल प्लांटों को अपने कंट्रोल में क्यों नहीं लेती।

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