वैक्सीन न लगवाने वालों का चीन ने ढूंढा इलाज, न अस्पताल में ट्रीटमेंट मिलेगा और न…

चीन में टीका लगवाने से बचने वालों का अस्पताल में इलाज नहीं किया जाएगा। चीन की कई क्षेत्रीय सरकारों ने अपने यहां यह आदेश जारी किया है। चीन संभवता दुनिया का पहला देश होगा, जहां टीका न लगवाने पर लोगों को इलाज जैसे आधारभूत अधिकार से वंचित करने की चेतावनी दी जा रही है।

12 राज्यों में प्रतिबंध की घोषणा

चीन के कम से कम 12 राज्यों की 50 जिला स्तरीय सरकारों ने अपनी जनता को चेतावनी देते हुए घोषणा की है कि टीका न लगवाने पर उन्हें सार्वजनिक सेवाओं से वंचित कर दिया जाएगा। इन सरकारों ने लोगों को जुलाई अंत तक टीका लगवा लेने का अंतिम मौका दिया है। आजतक चीन के सिचुआन, फ़ुजियान, शानक्सी, जिआंगसु, जियांग्शी, गुआंग्शी, अनहुई, शेडोंग, हेबै, हेनान, झेजियांग और इनर मंगोलिया आदि राज्यों ने ये सख्तियां लागू करने की घोषणा कर दी है।

बस और स्कूलों में भी प्रवेश नहीं

चीन के जिआंग्शी प्रांत की डिंगनान काउंटी ने इस सप्ताह नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया है कि टीकाकरण सबकी जिम्मेदारी है। 26 जुलाई तक सभी लोग टीका लगवा लें वरना उन्हें सार्वजनिक परिवहन और चिकित्सा सुविधाओं से वंचित कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं, टीका न लगवाने वाले अभिभावकों के बच्चों को स्कूलों में प्रवेश भी नहीं मिलेगा। इस काउंटी में लगभग 220,000 लोग रहते हैं।

टीके की विश्वसनीयता से आश्वस्त नहीं

चीन के लोग स्वदेशी वैक्सीन की विश्वसनीयता को लेकर आश्वस्त नहीं है, जिससे यहां टीका लेने को लेकर हिचक बनी हुई है। अफसरों का कहना है कि टीकाकरण की शुरुआत में वे लोगों को उत्साहित करने के लिए आइसक्रीम से लेकर गिफ्ट वाउचर तक दे रहे थे पर ग्रामीण इलाकों में स्थिति नहीं सुधरी। अफसर चाहते हैं कि सरकार टीकाकरण को अनिवार्य कर दे। सरकार ने दिसंबर तक 80% आबादी यानी एक अरब लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य तय किया है।

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