भोर में तो कोहरा नहीं था लेकिन जैसे-जैसे सुबह होती गई कोहरा बढ़ता गया। सुबह दस बजते-बजते बादल छा गए। साथ ही सर्द हवा चलने लगी। इसके चलते अचानक तापमान में गिरावट शुरू हो गई। दोपहर होते-होते कड़ाके की ठंड पड़ने लगी। नतीजतन अचानक मौसम के बदले इस रुख ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दीं।
ठंड से बचने के लिए लोग न सिर्फ जगह-जगह अलाव जलाकर बल्कि चाय की चुस्कियां लेकर ठंड से बचने का प्रयास करते रहे। उधर, अचानक खराब हुए मौसम के चलते जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे-बड़े बाजारों में दोपहर होते-होतेसन्नाटा पसरने लगा। ग्रामीण क्षेत्र से आए लोग शीघ्र ही अपने-अपने घर की तरफ चले गए।
इससे ज्यादातर दुकानदार समय व्यतीत करने के लिए दुकान के बाहर अलाव जलाकर ठंड से बचने की कोशिश करते रहे। ठंड के प्रकोप के बावजूद प्रशासन की तरफ से सार्वजनिक स्थानों पर अब तक अलाव की व्यवस्था नहीं की जा सकी है।
ऐसा तब है, जब अलाव की व्यवस्था के लिए शासन से सभी तहसीलों के लिए 50-50 हजार रुपये लगभग एक माह पहले ही जिले को उपलब्ध करा दिया गया था। अलाव न जलने के चलते सबसे अधिक मुश्किल रात्रि में यात्रा करने वालों व राहगीरों को हो रही है।
इतना ही नहीं, लापरवाही का आलम यह कि धन की उपलब्धता के बावजूद अभी कंबल खरीद की प्रक्रिया ही नहीं शुरू हो सकी है। रफीगंज के मनोहर व ऐनवां के रामजीत ने कहा कि जब ठंड बीत जाएगी, तब कंबल लेकर क्या करेंगे। प्रशासन की उपेक्षा से नाराज अकबरपुर के मुन्नीलाल ने कहा कि दिन तो किसी प्रकार से पार हो जाता है लेकिन रात में ठंड के चलते बहुत मुश्किल होती है।