जम्मू-कश्मीर के नौगाम धमाके का कारण आया सामने 

श्रीनगर के नौगाम पुलिस थाने में शुक्रवार देर रात हुए भीषण विस्फोट के मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि यह हादसा जांच प्रक्रिया के दौरान अत्यधिक प्रकाश के प्रयोग के कारण हुआ। एक अधिकारी ने कहा कि यह एक दुर्घटना थी न कि कोई आतंकवादी हमला।

इसके नमूने एकत्र करने के लिए केंद्रीय फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के विशेषज्ञों की टीमों ने थाने का दौरा किया है। अधिकारी ने बताया कि थाने के भीतर फोरेंसिक विशेषज्ञों की टीम फरीदाबाद से बरामद विस्फोटकों के सैंपल लेने और उनका विश्लेषण करने में जुटी थी।

एसिटोफेनीन, हाइड्रोजन पराक्साइड और सल्फ्यूरिक एसिड का था मिश्रण

आखिरी कुछ बॉक्स में एक विशेष प्रकार का तरल पदार्थ था। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह तरल पदार्थ संभवतः एसिटोफेनीन, हाइड्रोजन पराक्साइड और सल्फ्यूरिक एसिड का मिश्रण था।

एसिटोफेनोन एक सामान्य औद्योगिक रसायन है जिसका उपयोग एसिटोन पराक्साइड बनाने में होता है जो एक अत्यंत खतरनाक एवं संवेदनशील विस्फोटक होता है। फोरेंसिक टीम तरल पदार्थ की प्रकृति को बारीकी से जांचना चाहती थी। इसी उद्देश्य से जांच स्थल पर तीव्र रोशनी का प्रयोग किया गया। प्रकाश की गर्मी या सल्फ्यूरिक एसिड के धुएं से रासायनिक मिश्रण में हुए रिएक्शन से विस्फोट हुआ होगा।

विस्तृत जांच रिपोर्ट का इंतजार

पुलिस ने स्पष्ट किया है कि मामले में जांच जारी है। जांच पूरी होने तक विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट हो सकेगी लेकिन अब तक के साक्ष्य किसी भी बाहरी या आतंकवादी साजिश की ओर इशारा नहीं करते हैं।

अमोनियम नाइट्रेट की पहली बार जांच कर रही थी टीम

एफएसएल की टीम पहली बार अमोनियम नाइट्रेट जैसे अत्यधिक ज्वलनशील और खतरनाक पदार्थ की जांच कर रही थी। श्रीनगर के नौगाम पुलिस थाने में टीम ने पहले ही 10 से अधिक बोरियों में भरे अमोनियम नाइट्रेट का परीक्षण सफलतापूर्वक कर लिया था। सिर्फ तीन बारियों में भरे विस्फोटक की सैंपलिंग होनी थी। इसी दौरान इसमें धमाका हो गया।

सुरक्षा से जुड़े एक जिम्मेदार अधिकारी ने बताया कि नौगाम पुलिस थाने में फरीदाबाद से जब्त अमोनियम नाइट्रेट की जांच चल रही थी। एफएसएल की टीमों ने करीब 10 बोरियों में रखे अमोनियम नाइट्रेट की जांच कर ली थी। टीम में लैब के वरिष्ठ व अनुभवी विशेषज्ञ थे। स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) का भी सख्ती से पालन किया जा रहा था।

उन्होंने बताया कि तीन बारियों में रखे अमोनियम नाइट्रेट की जांच के लिए सैंपलिंग होनी थी। यह जांच शनिवार को की जानी थी लेकिन मामला राष्ट्रीय सुरक्षा और संवेदनशील होने के कारण जांच टीमें इसे जल्द पूरा करना चाहती थीं। शनिवार को श्रीनगर में उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक भी होनी थी। इसमें दिल्ली धमाके और फरीदाबाद में विस्फोटक मिलने की जांच की प्रगति और जम्मू-कश्मीर में तलाशी अभियानों पर भी चर्चा होनी थी। यही कारण था कि एफएसएल की टीम शुक्रवार रात 11:20 बजे तक जांच में लगी रहीं।

कहीं कोई चूक का अंदेशा

एक अधिकारी ने बताया कि अमोनियम नाइट्रेट के अति संवेदनशील होने के चलते जरा सी चूक भी घातक साबित होती है। अंदेशा है कि ऐसी ही चूक नौगाम पुलिस थाने में हुई होगी। ये चूक किस स्तर पर हुई, यहां किसी तरह का केमिकल रिएक्शन हुआ या नहीं… ये सब जांच के बाद ही पता चल पाएगा।

तो पूरे इलाके में होती तबाही

सूत्रों ने कहा कि यदि फरीदाबाद से जब्त किया गया 2,900 किग्रा अमोनियम नाइट्रेट पूरा यहां रखा होता तो पूरे इलाके में तबाही मच जाती। इस धमाके को देखकर लगता है कि ये जांच के दौरान तीन बोरियों में रखे अमोनियम नाइट्रेट में ही हुआ है।

विस्फोट में क्षत-विक्षत हुए शव, डीएनए जांच के लिए हुई सैंपलिंग

एफएसएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जिस थाने में टीम विस्फोटक के नमूने लेने गई थी, वहां उसे अब अपने कर्मचारियों के मौत के कारण की जांच करनी होगी। विस्फोट में शव क्षत-विक्षत हुए हैं। घटना स्थल पर हमने अपने कर्मचारियों की डीएनए जांच के लिए सैंपलिंग की है। यह हमारे लिए सबसे भावुक समय रहा। उन्होंने कहा कि इतना बड़ा हादसा पहली बार हुआ है जो सभी के लिए यह डरावना अनुभव है। धमाके में जिन एफएसएल कर्मचारियों की जान बची है वे हादसे के वक्त दूसरे कमरे थे।

कश्मीर में भी दिल्ली जैसे हमले की साजिश

खुफिया सूत्रों ने चेतावनी दी है कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने कश्मीर में भी लाल किला हमले जैसी साजिश रची है। वहां एहतियातन सुरक्षा बढ़ा दी है।

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