
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के उपमंडल घुमारवीं में इस बार प्रकृति ने अनोखा चमत्कार दिखाया है। वह बेशकीमती मशरूम जिसे लोग केवल हिमालय की ऊंची, ठंडी व नम घाटियों में ही देखने की उम्मीद करते हैं, अब सबसे गर्म जिले बिलासपुर के घुमारवीं के ओसल जंगल में दिखाई दी है। ग्राम पंचायत पनौल के ओसल जंगल में बुधवार सुबह सैर पर निकले राजीव शर्मा और विश्वबंधु ने सड़क किनारे मिट्टी में कुछ अलग-सा देखा।
ध्यान से देखने पर पता चला कि यह कोई साधारण मशरूम नहीं, बल्कि हिमालय की वही प्रसिद्ध और दुर्लभ गुच्छी है, जिसकी कीमत बाजार में 20 से 40 हजार रुपये किलो तक पहुंच जाती है। राजीव शर्मा ने बताया कि पहले तो हमें यकीन नहीं हुआ। जब पास जाकर देखा तो यह वही गुच्छी निकली, जिसकी छत्तेदार बनावट और खुशबू सबसे अलग होती है। जानकारों का कहना है कि गुच्छी किसी तरह की खेती या बुवाई से नहीं उगती। यह केवल प्राकृतिक रूप से ठंडे और छायादार इलाकों की मिट्टी में ही पनपती है।
इसके औषधीय गुणों के चलते यह हिमालय की सबसे महंगी खाद्य वस्तुओं में गिनी जाती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह बदलाव पर्यावरणीय परिस्थितियों में हो रहे परिवर्तन का संकेत भी हो सकता है। अगर यह प्रवृत्ति आगे बढ़ी, तो हिमाचल के निचले क्षेत्रों में भी गुच्छी के व्यावसायिक उत्पादन के द्वार खुल सकते हैं। लोगों के लिए यह खोज न केवल कौतूहल का विषय है, बल्कि उम्मीद भी कि शायद पहाड़ों का यह हिमालयी स्वाद अब मैदानों तक आने वाला है। बिलासपुर अपने गर्म और शुष्क मौसम के लिए जाना जाता है। ऐसे में नवंबर में यहां गुच्छी जैसी मशरूम का मिलना वैज्ञानिकों के लिए हैरानी का विषय बन गया है।
जलवायु परिवर्तन का परिणाम भी हो सकता है बिलासपुर जैसे गर्म क्षेत्र में गुच्छी उगना
यह घटना अध्ययन के दृष्टिकोण से बेहद अहम है। हम इसकी जांच करवाएंगे। यदि यह सिद्ध होता है कि गुच्छी अब अपेक्षाकृत गर्म इलाकों में भी पनप सकती है, तो यह हमारे लिए एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि होगी।



