पंजाब में इन जमीनों को लेकर सरकार ने लिया बड़ा फैसला

पंजाब कैबिनेट ने ‘पंजाब विलेज कॉमन लैंड (रेगुलेशन) रूल्स’ में संशोधन को हरी झंडी दे दी है। इसके तहत कॉलोनाइजरों से पंचायत की सांझा भूमि (सड़कों और खाली जगहों) का मुआवजा वसूलने का रास्ता साफ़ हो गया है। अब पंजाब सरकार प्राइवेट बिल्डर्स की गैर-कानूनी कब्जे वाली पंचायत की जमीन (सड़क और खाली जगह) बेच सकेगी। इससे पंचायत और सरकार को वित्तीय लाभ मिलेगा।

एक आंकड़े के अनुसार पंजाब में 85 प्राइवेट कॉलोनी मालिकों के कब्जे में पंचायत की सांझा जमीन है। नए नियमों के तहत, डिप्टी कमिश्नर की अगुवाई में जिला स्तर पर मूल्य निर्धारण समिति बनेगी। यह समिति सांझा जमीन का मूल्य तय करेगी, जो क्लेक्टर रेट का चार गुना होगा। इस जमीन के बदले बिल्डर से जो मुआवज़ा राशि मिलेगी, वह पंचायत और राज्य सरकार में बराबर बांटी जाएगी। बिल्डर्स के लिए यह सांझा जमीन हमेशा विवाद का कारण रही है, और दूसरी ओर पंचायतों को इस जमीन का कोई मुआवज़ा नहीं मिलता था। अब कैबिनेट ने मंजूरी दी है कि प्राइवेट कॉलोनी मालिक अपनी कॉलोनी में आए पंचायत के रास्तों और खाली जगहों का मुआवज़ा देंगे। वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में बताया कि पंचायत रास्तों और खाली जगहों से मिलने वाले मुआवज़े में से 50 प्रतिशत हिस्सा पंचायत के पास रहेगा और 50 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार के खज़ाने में जाएगा। चीमा ने कहा कि इन जमीनों का मूल्य क्लेक्टर रेट का चार गुना होगा।

सूत्रों के अनुसार पंचायत विभाग के पास लगभग 100 एकड़ सांझा जमीन के टुकड़ों के केस रियल एस्टेट कारोबारियों द्वारा आवेदन किए गए हैं। इनमें से 90 प्रतिशत केस जिला मोहाली, पटियाला, लुधियाना, जालंधर और अमृतसर के हैं। ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग ने कुछ समय पहले पंजाब भर में ऐसे 85 प्रभावशाली प्राइवेट कॉलोनी मालिकों की पहचान की थी, जिनकी कॉलोनियों में पंचायत की सांझा जमीन (सड़कों और खाली जगह) पड़ी थी, लेकिन पंचायत को कोई मुआवजा नहीं दिया गया। पंचायतों की करोड़ों की संपत्ति अटकी हुई थी। कैबिनेट मंत्री हरपाल चीमा ने बताया कि कॉलोनी मालिक पंचायत की जमीन का मुआवज़ा देंगे और बदले में एक नया रास्ता भी उपलब्ध कराएंगे, ताकि आस-पास की आबादी को मार्ग की सुविधा मिल सके। विशेषज्ञों का कहना है कि अब देखना यह होगा कि पंचायत की सांझा जमीन से होने वाली कमाई में पंजाब सरकार 50 प्रतिशत हिस्सा लेने के लिए कानूनी रूप से कितनी हकदार है।

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