
किश्तवाड़ के चिशोती में बादल फटने की घटना को सोमवार को पांच दिन हो गए। मलबे में सांसों की तलाश जारी है। आपदा में अपनों को खोने वालों की आंखें नम हैं और मन हताश है लेकिन उम्मीद बाकी है। चिशोती में करीब एक दर्जन जेसीबी और भारी मशीनों की मदद से मलबे को हटाने का काम चल रहा है। हादसे की घड़ी हमेशा के लिए लोगों के जेहन में बस गई है। हर किसी के पास 14 अगस्त को दोपहर करीब 12 बजे हुए हादसे की एक कहानी है। चिशोती लोगों की जिंदगी की परीक्षा का सबसे बड़ा मैदान बना हुआ है।
सुबह 9:30 बजे
चिशोती में खोजीदस्ते मुस्तैद हैं। जेसीबी की मदद से एनडीआरएफ उन जगहों पर शवों की तलाश में लगी है, जहां बादल फटने के बाद भारी भरकम पत्थर और मलबा खिसक कर नीचे आ गया है। यह ऑपरेशन अधिकारियों की निगरानी में चल रहा है और आगामी 48 घंटे तक बरकरार रखा जाएगा।
मलबे में दबे या बहाव में बह चुके लोगों के जिंदा होने की उम्मीद खत्म होती जा रही है। दिन चढ़ने के साथ गांव के लोग भी घरों से निकल कर घटना स्थल पर पहुंच गए हैं। जहां पर दर्जनों दुकानें लगी थीं और अब सिर्फ मलबा नजर आ रहा है। लोगों को उम्मीद है कि सरकार और प्रशासन की तरफ से पहुंच रहे लोग उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाएंगे।