
यात्रा केवल एक जुलूस नहीं बल्कि एक घोषणा थी कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा। यात्रा ने संदेश दिया कि हिंदू और मुसलमान अलग नहीं हैं बल्कि दोनों समुदाय वतन, इन्सानियत, अपने पूर्वजों की परंपराओं, राष्ट्रध्वज, नागरिकता और कानून की डोर से बंधे हैं। पहलगाम की वादियों से उठी यह आवाज स्पष्ट थी कि आतंकवाद और अलगाववाद अब अतीत की बातें हैं।
वर्तमान और भविष्य केवल शांति, विकास और भाईचारा का है। हर घर तिरंगा, हर दिल हिंदुस्तान, पीओके लेकर बनाएंगे अखंड कश्मीर के नारों से वातावरण देशभक्ति से ओतप्रोत हो गया। यात्रा समाप्त होने के बाद मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की महिला कार्यकर्ताओं ने लाथपुरा स्थित 185 सीआरपीएफ कैंप में पहुंचकर वीर सैनिकों की कलाइयों पर राखी बांधकर संदेश दिया कि देश की बेटियां और बहनें उनकी सुरक्षा और कुशलता के लिए हमेशा प्रार्थना करती हैं। भावुक सैनिकों ने कहा कि यह क्षण उनके लिए परिवार के बीच मनाए गए रक्षाबंधन से कम नहीं है।
आतंकवाद को मजहब से निकालना है
वरिष्ठ संघ सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि अब सभी ने तय किया है कि आतंकवाद को मजहब से निकाल देना है। कश्मीर भारत का जन्नत है तो भारत पूरे विश्व का जन्नत है। आतंकवाद और अलगाववाद की जड़ें अब कमजोर हो चुकी हैं। कोई भी ताकत भारत की अखंडता और संप्रभुता को तोड़ नहीं सकती। उन्होंंने कहा कि पहलगाम घटना के बाद से देशवासी डरे नहीं बल्कि आक्रोशित हैं और आतंकवाद के खिलाफ ये आक्रोश पहलगाम, कश्मीर और पूरे देश में हैं। पहलगाम में निकली तिरंगा यात्रा ने दहशत फैलाने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूरा कर चुका है। संघ देश प्रेम, अनुशासन, समाज सेवा और लोगों को जोड़ने वाला संगठन है और रहेगा। पहलगाम में निकली तिरंगा रैली ने बता दिया कि ये दो कौम नहीं हैं, ये एक देश हैं, ये वे लोग हैं जो एक साथ रहते हैं। हम एक कौम, एक वतन हैं।
कायम करनी है एकता
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजल ने कहा कि इस यात्रा का मकसद कश्मीर की आत्मा और हिंदुस्तान की धड़कन को एक सूत्र में पिरोना है। आज मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यकर्ता और कश्मीर के लोग मिलकर साबित कर रहे हैं कि हिंदुस्तान की आत्मा कश्मीर में उतनी ही गूंजती है जितनी दिल्ली, मुंबई और चेन्नई में। ‘हर घर तिरंगा और हर दिल हिंदुस्तान’ यही हमारा लक्ष्य है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के नेता अबू बकर नकवी, प्रोफेसर (डॉ.) शाहिद अख्तर, डॉ. शालिनी अली, कारी अबरार जमाल ने भी संबोधित किया।