राफेल में लगी स्कैल्प मिसाइल इस तरह से लगाती है अचूक निशाना, सीरिया-इराक में मचा चुकी हैं भारी तबाही

पहलगाम के आतंकी हमले का बदला भारत ने ले लिया है. ऑपरेशन सिंदूर चला कर पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया गया है. भारतीय सेना ने देर रात पाकिस्तान और पीओके (Pok) के 9 आतंकी के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की है. भारत ने जिन नौ जगहों पर एयर स्ट्राइक की है, उन्हीं ठिकानों से जैश-ए-मोहम्मद ने भारत पर आतंकी हमलों की साजिश रची थी. इस हमले में स्कैल्प मिसाइलों ने अचूक निशाना लगाया है. यह मिसाइल इस तरह के हमलों में पहले भी काफी कारगर साबित हुई हैं. यह लंबी रेंज के लिए जानी जाती है. दुश्मन की लोकेशन को ट्रैक करके यह सटीक निशाना लगाती है. मंगलवार देर रात भारतीय वायुसेना के राफेल से स्कैल्प मिसाइलों को दागा गया.

स्कैल्प मिसाइल का टार्गेट पर निशाना लगाने का अनोखा तरीका है. इसकी एक्यूरेसी काफी अधिक है. यह पूरी तरह से कंफर्म आबजेक्ट पर निशाना लगाती है. आइए जानते है कि यह मिसाइल किस तरह से अपने टार्गेट को निशाना बनाती है.

स्कैल्प मिसाइल की ये है ताकत

स्कैल्प मिसाइल को यूरोपियन कंपनी MBDA ने तैयार किया है. यह यूरोप की मल्टीनेशनल डिफेंस कंपनी है. मिसाइल को 90 के दशक के अंत में यूके की रॉयल एयरफोर्स और फ्रांस की एयरफोर्स के लिए तैयार किया गया था. यह मिसाइल अपने टार्गेट को साधने में बिल्कुल भी नहीं चूकती है.

सटीक निशाने का राज इसके एडवांस गाइडेंस सिस्टम में छिपा है. यह जीपीएस और एडवांस तकनीक से डाटा का उपयोग करके जबदरस्त तबाही मचाने में सक्षम है. ऐसा दावा है कि यह इतनी ताकतवर है कि खराब मौसम में भी अपनी पूरी क्षमता दिखाती है.

कितनी दूरी तक निशाना बनाने में सक्षम

स्कैल्प मिसाइल 560 किलोमीटर की दूरी तक के टार्गेट को हिट कर सकती है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसे कई एयरक्राफ्ट प्लेटफॉर्म से दागा जा सकता है. इसे राफेल, मिराज 2000, यूरोफाइटर टायफून, टॉरनाडो GR4 से दागा जा सकता है. इसे बनाने वाली कंपनी MBDA के अनुसार, इसमें लगा इंफ्रारेड कैमरा पहले से मौजूद तस्वीरों से मिलान करता है. यही कारण है कि इसका निशाना काफी सटीक होता है.

इराक-सीरिया में किया इस्तेमाल

रूस और यूक्रेन की जंग में इसका काफी उपयोग किया गया है. इसका वजन 1300 किलो है. इस मिसाइल को राफेल या फिर यूके के यूरोफाइटर टायफून से लॉन्च किया जा सकता है. इराक, लीबिया और सीरिया में इसका उपयोग आतंकियों के खात्म के लिए किया जा चुका है.

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