रेल मंत्रालय देने वाला है बड़ा झटका, हो जाएं तैयार

railनईदिल्ली: रेल मंत्रालय पैसेंजर और फ्रेट किराए को लेकर सुझाव देने के लिए एक अलग एजेंसी बनाना चाहता है। इसके लिए मिनिस्ट्री जल्द ही कैबिनेट से अनुमति मांगेगी।

इस कदम से किरायों में बढ़ोतरी की प्रक्रिया को राजनीतिक असर से दूर किया जा सकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बारे में इस सप्ताह एक प्रस्ताव कैबिनेट के पास भेजा जाएगा और इस पर अगले सप्ताह तक मंजूरी मिल सकती है। 
ऐसा होने पर यह रेलवे में सुधार के लिए दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कदम होगा। इससे पहले रेल बजट को आम बजट में विलय करने का फैसला किया गया था। रेलवे को पैसेंजर किराए पर सब्सिडी देने के कारण प्रतिवर्ष लगभग 33,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
प्रस्तावित रेलवे डिवेलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया में एक चेयरमैन और चार मेंबर होंगे। ये रेलवे से नहीं जुड़े होंगे। मंत्रालय को इस बारे में पहले ही कई मंत्रालयों और नीति आयोग से सुझाव मिल चुके हैं। अधिकारी ने कहा कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इस प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के शीर्ष अधिकारियों के साथ चर्चा की है और वे इस तरह की एजेंसी बनाने के पक्ष में हैं। 
 प्रभु ने हाल ही में बताया था, ‘प्रस्तावित अथॉरिटी पैसेंजर फेयर और फ्रेट रेट का सुझाव देने के लिए स्वतंत्र होगी। यह रेलवे के लिए पूरे फेयर स्ट्रक्चर को संतुलित करेगी। यह रेलवे के लिए एक बड़ा बदलाव होगा। हम बाजार की मांग के अनुसार किराए में बदलाव करते रहेंगे।’ अधिकारी ने कहा कि शुरुआती प्रस्ताव किराए तय करने के लिए एक रेगुलेटर बनाने का था, लेकिन अब इसे बदलकर अथॉरिटी कर दिया गया है जो सिर्फ फेयर में बदलाव का सुझाव देगी। 
उन्होंने बताया, ‘इस रास्ते से हमें संसद से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी और कैबिनेट से हरी झंडी मिलने के बाद ही एक रेगुलेटर बनाया जा सकता है।’ प्रस्तावित अथॉरिटी रेलवे के लिए परफॉर्मेंस से जुड़े स्टैंडर्ड भी तय करेगी। अधिकारी के मुताबिक, ‘इससे हम समय पर पैसेंजर किराए में बदलाव कर पाएंगे। इसके साथ ही फ्रेट रेट तय करने में रेलवे के दबदबे वाली प्रक्रिया भी समाप्त होगी, जिससे हमें फ्रेट ट्रैफिक का काफी नुकसान हुआ है।’ हाल के वर्षों में रेलवे ने पैसेंजर ट्रैफिक पर नुकसान की भरपाई करने के लिए फ्रेट रेट्स में लगातार बढ़ोतरी की है। अधिकारी ने कहा, ‘हमारे फ्रेट रेट कई यूरोपियन देशों और चीन से भी अधिक हैं। इसकी वजह से हमारा फ्रेट ट्रैफिक रोड ट्रांसपॉर्ट के पास जा रहा है।’
 
 

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