28 साल बाद भी सिनेमा जगत में नहीं मिल रही Mahima Chaudhry को जगह

फिल्म प्रमोशन के दौरान लंबी-चौड़ी टीम लेकर साथ नहीं चलतीं अभिनेत्री महिमा चौधरी। आगामी फिल्म ‘दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी’ के प्रमोशन के लिए पहुंचीं महिमा ने फिल्म इंडस्ट्री में आ रहे बदलाव और अन्य मुद्दों पर प्रियंका सिंह के साथ साझा किए विचार…

कैसे मिली ‘दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी’

महिमा चौधरी खुश हैं कि निर्माता-निर्देशक अब उन्हें अलग तरह के रोल में देख रहे हैं। वह 19 दिसंबर को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी’ में नजर आएंगी। यह फिल्म मिलने को लेकर महिमा बताती हैं-

‘फिल्म के निर्देशक सिद्धांत (राज सिंह) ने मुझे मैसेज किया था कि मैंने ‘जुग जुग जिओ’ फिल्म में असिस्ट किया था, अब एक फिल्म बना रहा हूं। मुझे उनकी इस फिल्म का शीर्षक अच्छा लगा। बनारस के एक छोटे से परिवार की कहानी है। ज्यादातर मैं एक-दो दिन सोचकर ही जवाब देती हूं, लेकिन उनको बुला लिया। कहानी सुनी, तो अच्छी लगी। अब इंडस्ट्री में पहले जैसा नहीं रहा, जब एक ही तरीके की कास्टिंग होती थी। हमसे उतनी ही उम्मीद की जाती थी कि सुंदर लगना है। अब वह आपको कुछ नया इसलिए दे पा रहे हैं, क्योंकि दर्शक आपको उस तरह से देखने के लिए तैयार है।

खुद जगह बनानी पड़ती है

हीरो विलेन का रोल भी कर रहे हैं। इस दौर में हर तरह का जॉनर चल रहा है। अब एक्शन फिल्म भी चल सकती है, तो एक डॉक्यूमेंट्री भी नाम कमा सकती है। महिमा कहती हैं कि वे हमेशा से निर्माता-निर्देशक बनने की इच्छुक रहीं, ताकि वह अपने लिए अच्छे रोल खुद बना सकें। महिमा कहती हैं-

‘मैंने पहली ही फिल्म ‘परदेस’ में जो रोल किया, उसकी अपनी च्वाइस थी। शुरू में ही जब आपको एक स्ट्रांग रोल मिल जाता है, तो आगे वैसे ही कास्ट किया जाता है। तभी मुझे ‘लज्जा’, ‘ये तेरा घर ये मेरा घर’, ‘दाग: द फायर’, ‘धड़कन’ जैसी फिल्में मिलीं। ये रास्ते मेरे लिए स्वयं बने। अभिनेताओं के लिए रोल चुनना कई बार इसलिए भी आसान हो जाता है, क्योंकि कइयों ने अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू कर दिया था। वो रोल, निर्देशक खुद चुनने लगे थे।

अभिनेत्रियों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि क्रिएटिव होते हुए भी कई बार निर्माता-निर्देशक उनके बारे में सोचते ही नहीं हैं। उन्हें अपने लिए खुद जगह बनानी पड़ती है। मुझे खुद ये सारे विचार आते हैं कि प्रोडक्शन शुरू करो, निर्देशन करो। शौक है, लेकिन जिंदगी में कुछ न कुछ ऐसा होता रहता है कि मैं फिर उस पर ध्यान नहीं दे पाती!’

बेटी करेगी सिनेमा में डेब्यू

नजर न लग जाए इस साक्षात्कार के दौरान महिमा के साथ उनकी बेटी एरियाना भी थीं। उन्हें साथ लाने का कारण बताते हुए महिमा ने कहा, ‘एरियाना को देखना था कि इंटरव्यू में क्या होता है। आगे अगर एरियाना को फिल्मों में काम करना होगा, तो उन्हें पता होना चाहिए कि कैमरा, लाइटिंग क्या होती है। फिल्ममेकिंग की असली ट्रेनिंग सेट पर ही होती है।

जो अनुभव ग्राउंड लेवल पर मिलेगा, वह कहीं नहीं मिलेगा।’ एरियाना अक्सर पैपराजी के कैमरे में कैद होती हैं। क्या महिमा को इससे दिक्कत नहीं? इस पर वह कहती हैं, ‘ मैं भारतीय मां हूं, तो उस नाते कई बार सोचती हूं कि बच्ची को नजर न लग जाए। हालांकि उन्हें इस अनुभव के प्रति सहज होना सीखना होगा, क्योंकि उन्हें पता है कि उनकी मां अभिनेत्री हैं, तो कैमरा आस-पास होगा।’

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