
हिमाचल प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) की चयन समिति के अध्यक्ष अब मुख्य न्यायाधीश के स्थान पर मुख्य सचिव हाेंगे। सोमवार को सदन के पटल पर इसके लिए संशोधन विधेयक पेश किया गया। इसे पारित करने के बाद अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल चार साल होगा, जो वर्तमान में पांच साल है। इसमें राज्य उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के स्थान पर मुख्य सचिव को नियुक्त करने का प्रावधान जोड़ा जा रहा है। यह संशोधन विधेयक सदन के पटल पर नगर नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने रखा।
इस विधेयक के संशोधन के उद्देश्य में स्पष्ट किया गया है कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण की शासन व्यवस्था और प्रशासनिक कार्यक्षमता को सुदृढ़ करने के लिए यह संशोधन करने जा रही है। इसका भू-संपदा (विनियमन और विकास) अधिनियम 2016 में संशोधन प्रस्तावित किया गया है। प्रस्तावित संशोधन में भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण चयन समिति के अध्यक्ष के रूप में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के स्थान पर मुख्य सचिव को नियुक्त करने का प्रावधान करने का प्रस्ताव किया गया है। उद्देश्यों में कहा गया है कि भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण मूल रूप से एक प्रशासनिक एवं विनियामक निकाय है, जिसके संचालन के लिए प्रशासन, आवास, विधि और संबंधित क्षेत्रों में विशेषज्ञता की जरूरत होती है।
राज्य के वरिष्ठतम प्रशासनिक अधिकारी होने के नाते मुख्य सचिव पर्याप्त रूप से रखते हैं। यह बदलाव शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का सम्मान करता है, क्योंकि इससे कार्यपालिका की ओर से की जाने वाली नियुक्तियों में न्यायपालिका की प्रत्यक्ष संलग्नता खत्म होगी, जिससे संभावित हितों के टकराव की स्थिति से बचाव होता है। इसके लिए एक निष्पक्ष और योग्यता आधारित चयन प्रक्रिया सुनिश्चित की जाएगी। दूसरे संशोधन में हिमाचल प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण के अध्यक्ष और सदस्यों के लिए चार वर्ष की तय और पुनर्नियुक्ति सेवाकाल अवधि को जोड़ा गया है। चार वर्ष या 65 साल की उम्र जो भी पहले आएगी, यह उस अवधि तक होगा। इसका उद्देश्य निष्पक्षता को प्रोत्साहित करना और पुनर्नियुक्ति की पुनरावृत्ति को रोकना बताया गया है। पहले कार्यकाल की यह अवधि पांच साल थी।
मुख्य सचिव खुद दावेदार हों तो अतिरिक्त मुख्य सचिव या राज्य के सचिव होंगे अध्यक्ष
मुख्य सचिव के अलावा राज्य सरकार, सदस्य संयोजक के रूप में आवास विभाग के सचिव और तृतीय सदस्य के रूप में विधि सचिव की नियुक्ति करेगी। यदि मुख्य सचिव खुद प्राधिकरण के अध्यक्ष या सदस्य के पद के लिए आवेदक हों या हितों के टकराव व किसी अन्य कारणवश चयन समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य करने में असमर्थ हों तो सरकार राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव या राज्य के सचिव के पद की पंक्ति के किसी अन्य अधिकारी को चयन समिति के अध्यक्ष के नामित करेगी, जिसके पास पर्याप्त प्रशासनिक अनुभव हो।



