हरियाणा लेखक मंच की ओर से साहित्यिक सेमीनार का आयोजन

फारूखा खालसा सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हरियाणा लेखक मंच की ओर से एक साहित्यिक सेमीनार का आयोजन किया गया। यह आज की हिंदी कहानी और आज की हिंदी गजल दो सत्र में संपन्न हुआ। इस दौरान मुख्य वक्ता हिंदी के प्रख्यात आलोचक डाॅ. वैभव सिंह ने आधुनिक हिंदी कहानी पर चर्चा करते हुए कहा कि आज का समय ऐसा है जिसमे पुरानी परंपरा आक्रामक रूप से लौट रही है, वहीं दूसरी तरफ आधुनिकता अनेक अंतर्विरोधों से घिरी हुई है।


आज की कथा साहित्य का मुख्य अंतर्विरोध है। इस समय सत्य की प्राप्ति तो संभव है लेकिन सत्य को स्थापित करना बहुत मुश्किल है। साहित्य, संस्कृति, पत्रकारिता आदि पर सत्ता का व्यापक दबाव है। इतना दबाव लेखक समुदाय ने कभी महसूस नहीं किया। इस दौर में चुनावी लोकतंत्र तो है लेकिन वास्तविक लोकतंत्र गायब होता जा रहा है। इसलिए लेखक के लिए स्वतंत्र रूप से सोचना और उसी प्रकार से लिखना चुनौतीपूर्ण हो गया है। लेकिन फिर भी हिंदी साहित्य में लेखक लगातार ऐसी कहानियां लिख रहे हैं जिनमें इस समय का यथार्थ अभिव्यक्त हो रहा है।

दूसरे सत्र में आज की हिंदी गजल पर बोलते हुए मुख्य वक्ता डॉक्टर दिनेश दधिची ने कहा कि हिंदी और उर्दू दोनों एक साथ विकसित हुई है। दोनों की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि एक समान है ।दोनों के रचनाकार दोनों भाषाओं में समान रूप से लिखते रहे हैं । यह ठीक है कि हिंदी गजल उर्दू गजल से ही विकसित हुई है और उर्दू गजल अरबी-फारसी से विकसित हुई है। इस अवसर पर अशोक भाटिया, एसपी भाटिया ,गुरुदेव सिंह देव, अनुपम शर्मा, ओम सिंह अशफाक, दीपक बोहरा, राजेश भारती, कमलेश चौधरी, नरेश दहिया ,विकास शर्मा विकास सालयाण, ज्ञानी देवी, डॉक्टर प्रदीप बलदेव सिंह ब्रह्मदत्त, पंकज शर्मा, परवीन आदि मौजूद रहे।

Related Articles

Back to top button
X (Twitter)
Visit Us
Follow Me
YouTube
YouTube