
भारत का स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस एमके1ए शुक्रवार को एचएएल के नासिक संयंत्र से पहली बार उड़ान भरकर इतिहास रचेगा। हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के नासिक संयंत्र में निर्मित पहला एलसीएमार्क 1ए विमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष कौशल दिखाएगा। इस अवसर पर एचएएल की तीसरी प्रोडक्शन लाइन का भी उद्घाटन किया जाएगा।
भारत का स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस एमके1ए शुक्रवार को एचएएल के नासिक संयंत्र से पहली बार उड़ान भरकर इतिहास रचेगा। हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के नासिक संयंत्र में निर्मित पहला एलसीए मार्क 1ए विमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष कौशल दिखाएगा।
एचएएल की तीसरी प्रोडक्शन लाइन का भी उद्घाटन किया जाएगा
इस अवसर पर एचएएल की तीसरी प्रोडक्शन लाइन का भी उद्घाटन किया जाएगा। वायुसेना को मार्क 1 ए लड़ाकू जेट की तेजी से डिलीवरी करने के उद्देश्य से एचएएल ने नासिक में विमानों के लिए तीसरी प्रोडक्शन लाइन स्थापित की है।
केंद्र की क्षमता प्रति वर्ष आठ विमानों के उत्पादन की है
इससे एचएएल को वायुसेना द्वारा आर्डर किए गए 180 एलसीए मार्क 1ए विमानों की आपूर्ति 2032-33 की निर्धारित समय-सीमा तक करने में मदद मिलेगी। इस केंद्र की क्षमता प्रति वर्ष आठ विमानों के उत्पादन की है, जिसे बढ़ाकर 10 विमान प्रति वर्ष किया जा सकता है।
पिछले महीने रक्षा मंत्रालय ने 97 तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमानों (68 ¨सगल-सीटर और 29 ट्विन-सीटर ट्रेनर वेरिएंट) की आपूर्ति के लिए एचएएल के साथ 62,370 करोड़ रुपये का अनुबंध किया था।
अधिकारियों ने बताया कि एलसीए एमके-1ए का उत्पादन तेजी से किया जा रहा है। कंपनी को हाल ही में अमेरिकी निर्माता जनरल इलेक्टि्रक से चार जीई-404 जेट इंजन मिले हैं, और इस वित्तीय वर्ष के अंत तक कुल 12 इंजन मिलने की उम्मीद है।
कई खूबियों से लैस है तेजस एमके-1ए
तेजस एमके-1ए उन्नत एवियोनिक्स, आधुनिक रडार प्रणाली, उन्नत हथियार क्षमताएं और अत्याधुनिक इलेक्ट्रानिक उपकरणों से लैस हैं।
2,200 किमी/घंटा से अधिक की अधिकतम गति के साथ उड़ान भरने में सक्षम यह विमान हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) का एडवांस वर्जन है।
ब्रह्मोस मिसाइल सहित कई स्वदेशी हथियारों से हमले करने में सक्षम है। इसमें प्रयुक्त 65 प्रतिशत से अधिक घटक स्वदेशी रूप से निर्मित हैं।
इन विमानों के पहले बेड़े को पाकिस्तान सीमा के पास राजस्थान के बीकानेर में एयर बेस पर तैनात किए जाने की उम्मीद है।
इन विमानों को हाल ही में सेवानिवृत्त हुए मिग-21 का स्थान पर इन विमानों को तैनात किया जाएगा।
वायुसेना ने छह दशक से अधिक की सेवा के बाद 26 सितंबर को मिग-21 को सेवानिवृत्त किया था।