बिहार: तीन सवालों से समझिए- नीतीश कुमार ने इस्तीफा क्यों नहीं दिया

शुक्रवार 14 नवंबर की रात तक यह साफ हो गया कि बिहार में प्रचंड बहुमत वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार बन रही है। रविवार को जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्यपाल से मिलने गए तो कहा गया कि वह इस्तीफा देने गए हैं। नहीं दिया इस्तीफा तो कहा गया कि किसी डर के कारण नहीं दिया। इतना ही नहीं, सवाल सामने की कुर्सी पर भी उठ रहा है कि महागठबंधन के 35 विधायकों में राष्ट्रीय जनता दल के पास 25 विधायक ही हैं। बाकी 10 महागठबंधन के दूसरे दलों के पास हैं और छह अन्य के पास। तो क्या तेजस्वी यादव के पास नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी रह जाएगी? जितनी बातें चल रहीं, हर सवाल पर ‘अमर उजाला’ ने मौजूदा विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव से जवाब पूछा।

सवाल- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्तीफा नहीं सौंपा। इसका क्या कारण हो सकता है?
जवाब- मुख्यमंत्री ने 19 नवंबर को विधानसभा भंग करने की सिफारिश की है। अगले दिन 20 नवंबर को नई सरकार का शपथ ग्रहण है। अगर रविवार को इस्तीफा दे देते तो स्वीकार होने के साथ ही वह कार्यवाहक मुख्यमंत्री रह जाते। अब 19 नवंबर तक वह मुख्यमंत्री हैं और 20 नवंबर से वह नई सरकार के मुख्यमंत्री होंगे, कार्यवाहक की जरूरत नहीं पड़ेगी। विधानसभा भंग होते ही वह कार्यवाहक रह जाएंगे, लेकिन तारीखों में वह पुराने और नए सीएम होंगे।

सवाल- चुनाव परिणाम के बाद से चर्चा चल रही थी कि राजद नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी नहीं बचा सका! क्या है प्रावधान?
जवाब- 243 सदस्यों की बिहार विधानसभा है। इसमें विपक्षी दलों में से जिसके बाद न्यूनतम 10 प्रतिशत विधायक रहेंगे, वह नेता प्रतिपक्ष का दावेदार होता है। मौजूदा परिणाम में राजद के पास 25 विधायक हैं, इसलिए वह बाकी विपक्षी दलों की मदद के बगैर भी नेता प्रतिपक्ष चुन सकता है। बाकी विपक्षी दलों को मिलाकर अलग से 24 या उससे ज्यादा विधायक होते तो भी सबसे बड़े दल के पास अधिकार होता। और, अगर दो दलों के पास अलग-अलग इतनी संख्या होती तो बातचीत के आधार पर रास्ता निकालने का प्रयास किया जाता। वह भी नहीं हो तो एकमत लिया जाता। फिलहाल, जिसे राजद सदन में आकर अपने विधायक दल का नेता घोषित करेगा, उसे ही नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी मिलेगी।

सवाल- महागठबंधन के दलों की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग ने गलत किया है। उसके चुने एमएलए इस्तीफा देंगे।
जवाब- जहां के विधायक इस्तीफा देंगे, वहां उप चुनाव होगा। विपक्ष की संख्या 10 प्रतिशत से नीचे आते ही नेता प्रतिपक्ष का पद स्वतः खाली हो जाएगा और रिक्त सीटों पर उपचुनाव अनिवार्य हो जाएगा।

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