
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में आज निजी बस सेवाएं ठप हैं। इस वजह से स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को गंतव्य तक पहुंचने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एचआरटीसी के 18 रूटों की सूची जारी करने के बावजूद शिमला सिटी प्राइवेट बस चालक-परिचालक संघ सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चला गया है। प्राइवेट ऑपरेटरों से अपनी बसें आरटीओ ऑफिस के बाहर खड़ी कर दी और मांगों को लेकर नारेबाजी की। इससे शहर में निजी बसें नहीं चल रहीं। हालांकि, एचआरटीसी ने अतिरिक्त बसें भी चलाई हैं लेकिन इसका खास असर नजर नहीं आया। सुबह कार्यालय, स्कूल-काॅलेज जाने वाली विद्यार्थी सहित अन्य लोग बसों के लिए इंतजार करते देखे गए। एचआरटीसी बसें पैक रहीं। इसलिए बड़ी संख्या में लोग पैदल ही अपने गंतव्यों की ओर रवाना हुए।
वहीं राजधानी में 40 किलोमीटर से ज्यादा दूरी से आने वाली बड़ी बसों को पुराने बस अड्डे में एंट्री न देने के फैसले पर विवाद गहरा गया है। शहर के कारोबारियों के बाद अब शिमला नागरिक सभा ने भी परिवहन विभाग को तुरंत इस फैसले को वापस लेने को कहा है। शिमला शहर में 106 के करीब निजी बसें चलती हैं, जिसमें हर रोज हजारों लोग सफर करते हैं। शिमला सिटी प्राइवेट बस चालक-परिचालकों का कहना है कि एचआरटीसी ने जिन रूटों की सूची जारी की है, उनमें से कुछ बसें काफी समय से बंद पड़ी हैं। वहीं अन्य बसें दूसरे डिपो की हैं, जो कि शिमला आने के बाद लोक रूटों पर भेजी जाती हैं।
संघ का कहना है कि एचआरटीसी की सूची में शिमला-2 डिपो की एक भी बस नहीं है। संघ के मुताबिक शिमला-2 की कई बसें जैसे शिमला-सोलन, शिमला-बुधार, चनावग, खटनोल, चंडी कशलोग, डवारू, चायल-ओध्र धर्मपुर मुख्य बसें हैं। उन्हें इस सूची में शामिल नहीं किया गया है। वहीं शिमला तीन डिपो की भी तीन से चार बसों के रूट ही डाले गए हैं। संघ का कहना है कि उपायुक्त शिमला की वर्ष 2011 के अधिसूचना के मुताबिक 40 किलोमीटर से अधिक दूरी की एचआरटीसी और निजी सभी बसों का शहर में प्रवेश बंद किया जाए।
70 अतिरिक्त बसें चलाएगा एचआरटीसी
निजी बसों की हड़ताल को देखते हुए एचआरटीसी ने सोमवार को शहर में अतिरिक्त बसें चलाने का निर्णय लिया है। निगम का दावा है कि निजी ऑपरेटरों की हड़ताल से लोगों को किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। लेकिन, सुबह के समय लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है।
लोगों को बदलनी होंगी बसें देना पड़ेगा ज्यादा किराया
शिमला नागरिक सभा का कहना है कि यदि परिवहन विभाग ने फैसला नहीं बदला तो जल्द ही लोगों के साथ मिलकर शहर में आंदोलन शुरू किया जाएगा। नागरिक सभा का कहना है कि प्रशासन का यह फैसला आम जनता के खिलाफ है। यह फैसला चंद निजी बस ऑपरेटरों को फायदा पहुंचाने के लिए लिया गया है। ग्रामीण इलाकों से शिमला के पुराने बस अड्डे हजारों लोग और स्कूली बच्चे पहुंचते हैं। अब इन बसों की एंट्री न होने से इन लोगों को परेशानी झेलनी पड़ेगी। सभा के अध्यक्ष जगमोहन ठाकुर का कहना है कि जो बसें बंद की जा रही हैं, उनमें ग्रामीण इलाकों से शिमला के स्कूल-कॉलेजों में पढ़ने के लिए रोज सैकड़ों छात्र पहुंचते हैं। इनके अलावा कई किसान भी अपनी सब्जियां, फल लेकर इन बसों से शिमला आते हैं।



