पंजाब के गांव पहुंचा हरमिंदर का पार्थिव शरीर सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

जम्मू कश्मीर में शनिवार को रक्षाबंधन के दिन आतंकी मुठभेड़ में बलिदान हुए फतेहगढ़ साहिब के मंडी गोबिंदगढ़ के गांव बदीनपुर निवासी सेना के जवान सिपाही हरमिंदर सिंह का पार्थिव शरीर रविवार दोपहर उनके गांव लाया गया है। इस मौके पर बड़ी संख्या में गांव के लोग वहां मौजूद रहे। उनका पार्थिव शरीर जैसे ही घर लाया गया तो परिवार का रो-रोकर बूरा हाल था। माता-पिता सहित पूरा परिवार सदमे में है। मां ने बेटे को सेहरा बांधा। सेना के जवानों ने उन्हें बलिदानी हरमिंदर सिंह को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद गांव के श्मशानघाट में राजकीय व सैन्य सम्मान के साथ बलिदानी का अंतिम संस्कार किया गया।

हरमिंदर सिंह परिवार का एकलौता सहारा था। हरमिंदर के घर पर उनके माता, पिता, छोटा भाई और एक बहन है जो मानसिक रूप अस्वस्थ है। परिजनों का कहना था कि हरमिंदर सिंह के दिल में देश के लिए जुनून था इसलिए वह सेना में भर्ती हुआ था। बेटे का सपना था कि रिटायरमेंट के बाद वह पहले अपना घर बनाएगा और फिर शादी करेगा। लेकिन परिवार के लिए बेटे की शादी की ख्वाहिश अधूरी रह गई।

चाचा दर्शन सिंह ने भी भरे गले से बताया कि हरमिंदर के पिता ने उसे कई बार कहा था कि बेटा तुम शादी कर लो पर उसने कहा कि वह फौज में सेट हो गया है। घर आकर सबसे पहले घर बनाएगा फिर शादी करेगा। चाचा ने बताया कि हरमिंदर एक दिन पहले से बार-बार वीडियो कॉल करके हंस हंस कर बातें कर रहा था। वह कह रहा था कि कुछ नहीं पता कब मेरी छाती में दुश्मन की गोली लग जाए। इसलिए वह अपने परिवार के सभी सदस्यों से बात कर रहा है।

दर्शन सिंह ने कहा कि हमारे गरीब बच्चों की लाशों पर देश की सियासत हो रही है। हमारे घर की रोजी-रोटी का वह अकेला ही जरिया था। वह भी सरकारों की कमी की वजह से शहीद हो गया। शहीद के पिता मानसिक तौर पर अपसेट हैं। मां का रो रो कर बुरा हाल हो चुका है। उल्लेखनीय है कि शहीद हरमिंदर सिंह की घर की हालत बहुत दयनीय है, कच्चा घर, जिसकी छत टूटी हुई है और मां चूल्हे पर खाना बनाती है।

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