इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस सॉफ्टवेयर से भारत में कथित तौर पर 300 से ज्यादा प्रमाणित फोन नंबर हैक किए गए। इनमें दो मौजूदा केंद्रीय मंत्रियों, तीन विपक्षी नेताओं, 40 से ज्यादा पत्रकारों, एक न्यायाधीश और सुरक्षा एजेंसियों के पूर्व तथा वर्तमान प्रमुखों के अलावा कई उद्योगपतियों व कार्यकर्ताओं के फोन नंबर शामिल हैं। द गार्डियन, द वाशिंगटन पोस्ट और द वायर सहित 17 अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों की संयुक्त जांच में यह बात सामने आई है। हालांकि, भारत सरकार ने जांच को खारिज करते हुए इसे पूरी तरह से बेबुनियाद करार दिया है।
द गार्डियन’ की ओर रविवार रात जारी इस बहुस्तरीय जांच की पहली किस्त में दावा किया गया है कि 40 भारतीय पत्रकारों सहित दुनियाभर के 180 संवाददाताओं के फोन हैक किए गए। इनमें ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ और ‘मिंट’ के तीन पत्रकारों के अलावा ‘फाइनैंशियल टाइम्स’ की संपादक रौला खलाफ तथा इंडिया टुडे, नेटवर्क-18, द हिंदू, द इंडियन एक्सप्रेस, द वॉल स्ट्रीट जर्नल, सीएनएन, द न्यूयॉर्क टाइम्स व ले मॉन्टे के वरिष्ठ संवाददाताओं के फोन शामिल हैं। जांच में दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक पूर्व प्रोफेसर और जून 2018 से अक्तूबर 2020 के बीच एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार आठ कार्यकर्ताओं के फोन हैक किए जाने का भी दावा किया गया है।
हालांकि, भारत सरकार ने जांच को खारिज करते हुए इसे भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने की साजिश करार दिया है। सरकार ने 2019 में हुए उस विवाद का भी जिक्र किया है, जिसके तहत व्हॉट्सएप में मौजूद एक खामी का इस्तेमाल 20 हस्तियों के फोन में मालवेयर डालने के लिए किए जाने का दावा किया गया था। इस दावे को बाद में सभी पक्षों ने खारिज किया था। केंद्र के मुताबिक राष्ट्रीय हित से जुड़े किसी मामले को लेकर व्यक्तियों की निगरानी के लिए सरकारी एजेंसियों का पूर्वनिर्धारित प्रोटोकॉल है। इसके तहत केंद्र और राज्य सरकारों के शीर्ष अधिकारियों की अनुमति लेना अनिवार्य होता है। यही नहीं, पेगासस के इस्तेमाल को लेकर दाखिल आरटीआई पर केंद्र का जवाब भी निगरानी के दावों को निराधार ठहराने के लिए काफी है।
जांच का आधार
-यह जांच एमनेस्टी इंटरनेशनल और फॉरबिडेन स्टोरीज को प्राप्त लगभग 50 हजार नामों और नंबरों पर आधारित है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इनमें से 67 फोन की फॉरेन्सिक जांच की। इस दौरान 23 फोन हैक मिले, जबकि 14 अन्य में सेंधमारी की कोशिश की पुष्टि हुई। ‘द वायर’ ने खुलासा किया कि भारत में भी दस फोन की फॉरेन्सिक जांच करवाई गई। ये सभी या तो हैक हुए थे, या फिर इनकी हैकिंग का प्रयास किया गया था।
कंपनी ने उठाए सवाल
-इजरायली कंपनी एनएसओ ने जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल और फॉरबिडेन स्टोरीज का डाटा गुमराह करता है। यह डाटा उन नंबरों का नहीं हो सकता है, जिनकी सरकारों ने निगरानी की है। इसके अलावा एनएसओ अपने ग्राहकों की खुफिया निगरानी गतिविधियों से वाकिफ नहीं है।
इन देशों ने किया इस्तेमाल
-‘द गार्डियन’ के मुताबिक एनएसओ के पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने वाले देशों में अजरबैजान, बहरीन, कजाखस्तान, मेक्सिको, मोरक्को, रवांडा, सऊदी अरब, हंगरी, भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) शामिल हैं।
एक नजर सॉफ्टवेयर पर
-पेगासस संबंधित फोन पर आने-जाने वाले हर कॉल का ब्योरा जुटाने में सक्षम है। यह फोन में मौजूद मीडिया फाइल और दस्तावेजों के अलावा उस पर आने-जाने वाले एसएमएस, ईमेल और सोशल मीडिया मैसेज की भी जानकारी दे सकता है।
क्या है पेगासस
पेगासस सॉफ्टवेयर को जासूसी के क्षेत्र में अचूक माना जाता है। तकनीक जानकारों का दावा है कि इससे व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे एप भी सुरक्षित नहीं। क्योंकि यह फोन में मौजूद एंड टू एंड एंक्रिप्टेड चैट को भी पढ़ सकता है। पेगासस एक स्पाइवेयर (जासूसी साफ्टवेयर) है, जिसे इसराइली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ग्रुप टेक्नॉलॉजीज़ ने बनाया है। इसका दूसरा नाम क्यू-सुईट भी है। इससे उन फोन और डिवाइस को भी हैक किया जा सकता है जिसे लेकर कंपनियां हैकप्रूफ होने का दावा करती हैं। माना जाता है कि अमेजन के सीईओ जेफ बेजोस का व्हाट्सएप भी इसी सॉफ्टवेयर से हैक हुआ था।
क्यों खतरनाक
किसी फोन में सिर्फ मिस कॉल के जरिए इसे इंस्टॉल किया जा सकता है। इसे यूजर की इजाजत और जानकारी के बिना भी फोन में डाला जा सकता है। एक बार फोन में पहुंच जाने के बाद इसे हटाना आसान नहीं होता।
कैसे काम करता है
ये एक ऐसा प्रोग्राम है, जिसे अगर किसी स्मार्टफ़ोन फ़ोन में डाल दिया जाए, तो कोई हैकर उस स्मार्टफोन के माइक्रोफ़ोन, कैमरा, ऑडियो और टेक्सट मैसेज, ईमेल और लोकेशन तक की जानकारी हासिल कर सकता है।
कितना असरदार
दावा है कि पेगासस एंड्रॉयड और आईओएस डिवाइस दोनों की जासूसी कर सकता है। साइबर सुरक्षा कंपनी कैस्परस्काई की एक रिपोर्ट के अनुसार, पेगासस आपको एन्क्रिप्टेड ऑडियो सुनने और एन्क्रिप्टेड संदेशों को पढ़ने लायक बना देता है। पेगासस के इस्तेमाल से हैक करने वाले को उस व्यक्ति के फ़ोन से जुड़ी सारी जानकारियां मिल सकती हैं।