
एमसीडी के 12 वार्डों में होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा ने सांसदों को औपचारिक जिम्मेदारियों से दूर रखते हुए सारा भरोसा मंत्रियों और विधायकों पर जताया है। संगठन ने साफ संदेश दिया है कि उपचुनाव रेखा गुप्ता सरकार की पहली बड़ी परीक्षा है और इसे पूरी गंभीरता से लड़ा जाएगा।
भाजपा ने दिल्ली सरकार के सभी छह मंत्रियों को दो-दो वार्डों का प्रभारी (इंचार्ज) बनाया है। विधायकों और प्रदेश संगठन के पदाधिकारियों को एक-एक वार्ड का संयोजक नियुक्त किया गया है। इन प्रभारी और संयोजकों को बूथ स्तर तक की निगरानी, मतदाता संपर्क और प्रचार की रणनीति तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि भाजपा चाहती है कि मंत्री और विधायक सीधे जनता के बीच जाकर सरकार के कामकाज को बताएं। सांसदों को किसी वार्ड की औपचारिक जिम्मेदारी नहीं दी गई है, हालांकि सांसदों पर अपने संसदीय क्षेत्र के वार्डों में प्रचार और कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने की जिम्मेदारी रहेगी।
महिला मोर्चा छोड़कर प्रत्येक मोर्चे के प्रदेश पदाधिकारी को एक-एक वार्ड की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनसे कहा गया है कि वे अपने मोर्चे से जुड़े वर्ग युवा, अनुसूचित जाति, व्यापारी आदि के माध्यम से क्षेत्रीय स्तर पर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाएं। उम्मीदवार चयन प्रक्रिया पर भी तेजी से काम हो रहा है। भाजपा ने तय किया है कि प्रत्याशी के नाम जिला अध्यक्ष, स्थानीय विधायक और संबंधित सांसद की राय से तय होंगे और उन्हें तीन नवंबर तक प्रदेश नेतृत्व को भेजना होगा। नामांकन प्रक्रिया उसी दिन से शुरू हो जाएगी, इसलिए पार्टी चाहती है कि उम्मीदवार समय रहते मैदान में उतरें और प्रचार को गति दें।
प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और संगठन महामंत्री पवन राणा रणनीति तय कर रहे हैं। उन्होंने सभी प्रभारी और संयोजकों को निर्देश दिया है कि वे मतदाता सूची, बूथ प्रबंधन, पन्ना प्रमुखों और कार्यकर्ता बैठकों को नियमित रूप से संचालित करें। भाजपा चाहती है कि 30 नवंबर को होने वाले इन उपचुनावों में अधिकतम सीटें जीतकर यह साबित करे कि दिल्ली की जनता रेखा गुप्ता सरकार के कामकाज पर भरोसा रखती है।
स्थानीय चेहरों पर पार्टी लगाएगी दांव
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इस बार पार्टी स्थानीय चेहरों पर दांव लगाएगी। वह वार्ड स्तर पर सक्रिय और जनता से गहरा जुड़ाव रखने वाले नेताओं को टिकट देगी। पार्टी का मानना है कि यह उपचुनाव केवल चेहरों का नहीं बल्कि भाजपा की ग्राउंड नेटवर्क क्षमता और जनता से जुड़ाव की परीक्षा है।



