ट्रंप ने 7 महीने में ही 1700 भारतीयों को अमेरिका से निकाला बाहर

इस साल जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका से भारतीयों के निर्वासन में जबदस्त उछाल आया है। इससे पहले जो बाइडन के कार्यकाल के दौरान के आंकड़ों पर अगर गौर किया जाए तो ये संख्या दो गुनी से ज्यादा है।

इस साल औसतन हर दिन कम से कम 8 भारतीयों को निर्वासित किया गया है, जबकि 2020 से दिसंबर 2024 के बीच ये संख्या प्रतिदिन लगभग 3 थी। विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2020 से जुलाई 2025 के बीच साढ़े पांच सालों में 7,244 भारतीयों को अलग-अलग कारणों से निर्वासित किया गया और उनमें से लगभग एक चौथाई 1,703 ट्रंप के दूसरी बार पदभार ग्रहण करने के बाद वापस भेजे गए।

डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद कड़ी हुई आव्रजन नीति
ट्रंप प्रशासन ने 2025 की शुरुआत से ही आव्रजन नीति को कड़ा कर दिया। विदेश विभाग ने कहा, “हम वीजा धारकों की लगातार जांच करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सभी अमेरिकी कानूनों और आव्रजन नियमों का पालन कर रहे हैं। अगर वो ऐसा नहीं कर रहे हैं तो हम वीजा रद कर देंगे और उन्हें निर्वासित कर देंगे।”

अमेरिका ने कैसे की भारतीयों की वापसी?
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इस साल निर्वासित किए गए 1703 लोगों में से 864 का निर्वासन चार्टर और सैन्य उड़ानों के जरिए हुआ। अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (सैन्य उड़ानों) ने 5, 15 और 16 फरवरी को 333 लोगों को वापस भेजा। अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) ने प्रवर्तन और निष्कासन अभियानों के जरिए 19 मार्च, 8 जून और 25 जून के चार्टर फ्लाइट के जरिए कुल 231 लोगों को निर्वासित किया।

होमलैंड सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने भी चार्टर के जरिए 5 और 18 जुलाई को 300 लोगों को वापस भारत भेजा। इसके अलावा, 747 भारतीयों को व्यवसायिक उड़ानों के जरिए वापस भेजा गया। पनामा से भी 72 लोगों की वापसी इसी दौरान हुई।

इन राज्यों के लोगों की हुई वापसी
अगर राज्यवार देखा जाए तो सबसे ज्यादा पंजाब के 620 लोगों को डिपोर्ट किया गया। इसके बाद हरियाणा के 604, गुजरात के 245, उत्तर प्रदेश के 38, गोवा के 26, महाराष्ट्र और दिल्ली के 20-20, तेलंगाना के 19, तमिलनाडु के 17, आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड के 12 और कर्नाटक के 5 लोगों को वापस भेजा गया।

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