
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अधीन आने वाले मेडिकल कॉलेज को लेकर सुलग रहे जम्मू कश्मीर के रोष में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला घी डालने का काम कर रहे हैं। मंगलवार को उन्होंने जिस तरह से राजौरी में पत्रकारों से बातचीत के दौरान अपनी सियासत से लोगों के गुस्से को हवा देने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि नीट की परीक्षा में अच्छे अंक लाने वाले विद्यार्थियों को उनके धर्म के लिए सजा नहीं दी जा सकती। न तो कानून और न ही संविधान इसकी अनुमति देता है। उन्होंने कहा कि यदि कोई संस्था धर्म के आधार पर सीट आरक्षण चाहती है तो उसे पहले सरकारी अनुदान लेना बंद करना होगा। इसके साथ ही उसे दी गई जमीन की कीमत का भी भुगतान करना होगा। फिर वह अपने कानून में बदलाव कर अपनी मर्जी से दाखिले कर सकते हैं।
संघर्ष समिति ने किया पलटवार
इस पर श्री माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति के संयोजक सेवानिवृत्त कर्नल सुखबीर सिंह मनकोटिया ने कहा कि उमर अब्दुल्ला आंदोलन को धार्मिक रंग दे रहे हैं। हम कभी किसी विद्यार्थी के विरोधी नहीं रहे हैं लेकिन माता वैष्णो देवी के चढ़ावे को लेकर तो पहले से तय है कि भक्तों द्वारा चढ़ाए गए धन का उपयोग केवल मंदिर से जुडें आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और परोपकारी उद्देश्यों के अनुरूप होना चाहिए।
मनकोटिया का कहना है कि श्राइन बाेर्ड के मामले में उमर अब्दुल्ला को बोलने की जरूरत नहीं है। उनके पास कोई ठोस समाधान हो तो बात करें नहीं तो लोगाें की भावनाओं से खेलना बंद करें। इस मेडिकल कालेज को सरकार से अब तक कोई मदद नहीं मिली है। जमीन उमर अब्दुल्ला की नहीं है।
उमर अब्दुल्ला मामले को धार्मिक रंग न दें
श्री सनातन धर्म सभा के प्रदेशाध्यक्ष पुरुषोत्तम दधीचि ने उमर अब्दुल्ला के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अगर उमर अब्दुल्ला मामले को धार्मिक रंग न दें। हम अपने धार्मिक स्थाल की और उसके द्वारा खर्च किए जा रहे पैसे को हिंदुओं पर खर्च करने की बात कर रहे हैं। जो सुझाव उमर अब्दुल्ला हमें दे रहे हैं।
उन पर खुद अमल करें और अपने पैसे का जो चाहे करें। जिसे मर्जी दाखिला दें। माता वैष्णो देवी के चढ़ावे से चलने वाले मेडिकल कालेज में सनातन धर्म की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं होगी। संघर्ष समिति के आंदोलन से ही उमर अब्दुल्ला के सभी प्रश्नों के जवाब मिल जाएंगे।



