बावजूद मियाद पूरी कर चुके खटारा बसों से आए दिन हादसे की संभावना बनी रहती है। विभाग खटारा और मियाद पूरी कर चुके बसों को लेकर बार-बार निर्देश जारी कर औपचारिकता पूरी करता रहता है। लेकिन स्कूलों में मियाद पूरी कर चलने वाली खटारा बसों के विरुद्ध कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाता।
ऐसे में निजी स्कूल संचालक अपने स्कूल के बच्चों को मियाद पूरी कर चुके खटारा बसों से स्कूल लाने और ले जाने का काम करते हैं। यदि विभाग ने ध्यान नहीं दिया तो कभी भी जिले में स्कूली बसों से बड़ा हादसा हो सकता है। नगरा क्षेत्र में खटारा वाहन स्कूली बच्चों को धड़ल्ले से ढो रहे हैं। शिक्षा महकमा या परिवहन महकमा भी उन खटारा वाहनों से अनभिज्ञ नहीं है।
प्रतिदिन सुबह परिवहन विभाग के अधिकारी नगरा क्षेत्र में मौजूद रहते है। उसी वक्त ये खटारा वाहन बच्चों को लेकर स्कूल जाते हैं। बावजूद इन खटारा वाहनों की जांच पड़ताल परिवहन विभाग नहीं करता। ऐसी ही स्थिति शिक्षा विभाग की भी है। ये खटारा वाहन परिवहन के मानकों पर कहीं से खरे नहीं है। बावजूद शिक्षा महकमा इन स्कूलों को खटारा वाहन न चलाने की हिदायत तक नहीं देता है।