
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में प्रदूषण फैलाने वाले सीमेंट उद्योगों पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि सीएसआर का पैसा भी प्रभावित क्षेत्रों में अदाणी सहित अन्य सीमेंट फैक्टरियां खर्च नहीं कर रही है। उन्होंने स्थानीय विधायकों को सीएसआर खर्च करने की प्राथमिकता बैठकों में भी शामिल करवाने का आश्वासन दिया। मंत्री ने कहा कि जिन क्षेत्रों में चूना पत्थर वाली भूमि की लीज समाप्त हो गई है, वहां जमीन स्थानीय लोगों को लौटाने पर विचार किया जाएगा। प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक संजय अवस्थी, रामकुमार और भाजपा विधायक त्रिलोक जम्वाल ने सीमेंट उद्योगों पर सवाल उठाए।
सीमेंट कंपनियों की ओर से प्रदेश से बाहर खर्च किए जा रहे कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) फंड का मुद्दा सदन में गूंजा। उद्योग मंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार सुनिश्चित करेगी कि सीमेंट कंपनियां अपने सीएसआर फंड का इस्तेमाल हिमाचल प्रदेश में ही करें। अर्की से कांग्रेस विधायक संजय अवस्थी ने कहा कि उनके क्षेत्र अर्की में अल्ट्राटेक और अंबुजा सीमेंट कंपनियां हैं। यहां लोग लंबे समय से पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं, लेकिन इन कंपनियों का सीएसआर फंड स्थानीय जनता की भलाई में खर्च नहीं हो रहा है। उन्होंने मांग करते हुए कि सीएसआर फंड के उपयोग में प्रभावित लोगों और स्थानीय विधायकों को भी शामिल किया जाए।
जवाब में उद्योग मंत्री ने स्वीकार किया कि यह सच है कि मल्टीनेशनल कंपनियां हिमाचल की बजाय अन्य राज्यों में अपना सीएसआर फंड खर्च कर रही हैं। उन्होंने बताया कि बीते दो वर्षों में अर्की क्षेत्र में अंबुजा कंपनी ने अब तक 5.38 करोड़ रुपये और अल्ट्राटेक ने 93.97 लाख रुपये सीएसआर में खर्च किए हैं, लेकिन इनकी प्राथमिकता स्थानीय आवश्यकताओं की बजाय अन्य क्षेत्रों पर रही है। मंत्री ने कहा कि कंपनियों को अनिवार्य रूप से अपने शुद्ध लाभ का न्यूनतम दो प्रतिशत सीएसआर पर खर्च करना होता है, लेकिन अधिकांश कंपनियां इसका पालन नहीं करतीं। उन्होंने कहा कि यदि कोई कंपनी पर्यावरण मानकों का उल्लंघन कर रही है तो इसकी लिखित शिकायत दी जाए, सरकार निश्चित तौर पर जांच कर कार्रवाई करेगी। अल्ट्राटेक और अंबुजा सीमेंट की भी चेकिंग करवाई जाएगी। हर्षवर्धन चौहान ने माना कि सीमेंट कंपनियां रात में धूल छोड़ती हैं, जिससे आसपास के क्षेत्रों में लोगों को दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं। उन्होंने कहा कि बिलासपुर और दाड़लाघाट स्थित सीमेंट कंपनियां भी अपने सीएसआर फंड का सही इस्तेमाल नहीं कर रही हैं।
जहां कंपनियां, वहीं इस्तेमाल हो फंड
दून से विधायक राम कुमार ने भी अनुपूरक सवाल उठाते हुए कहा कि सीएसआर फंड का इस्तेमाल वहीं होना चाहिए, जहां कंपनियां स्थापित हैं। बिलासपुर सदर से विधायक त्रिलोक जमवाल ने भी उनके क्षेत्र में स्थित सीमेंट कंपनी पर सीएसआर का पैसा कहीं और खर्च करने और प्रदूषण फैलाने का आरोप लगाया। उद्योग मंत्री ने कहा कि कंपनियों को सख्त निर्देश दिए जाएंगे कि वे हिमाचल प्रदेश में ही सीएसआर फंड का इस्तेमाल करें। जिला प्रशासन को यह भी आदेश दिए जाएंगे कि इस फंड के खर्च में स्थानीय विधायकों की राय को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि सीमेंट और खनन करने वाली कंपनियां अगर लापरवाही करेंगी तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।