हिमाचल प्रदेश: पूर्व सांसद और भाजपा नेता के टिकट रिफंड मामले में एयर इंडिया को जुर्माना

राज्य उपभोक्ता आयोग ने पूर्व सांसद और भाजपा के वरिष्ठ नेता के लिए दिल्ली से शिमला के हवाई टिकट रिफंड से जुड़े मामले में एयर इंडिया एयरवेज पर जुर्माना लगाया है। आयोग ने एयर इंडिया को सेवा में कमी होने का दोषी मानते हुए शिकायतकर्ता को 2,500 (दो हजार पांच सौ) रुपये की टिकट राशि ब्याज सहित वापस करने के आदेश दिए हैं। कंपनी को मानसिक प्रताड़ना और वाद व्यय में भी 25 हजार रुपये देने होंगे। राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति इंदर सिंह मेहता और सदस्य प्रताप सिंह ठाकुर की पीठ ने जिला आयोग शिमला के 12 सितंबर 2024 के आदेश को अपास्त करते हुए यह फैसला सुनाया है।

जिला कांगड़ा के तहसील जवाली निवासी रोहित भागवत ने बताया था कि 19 अक्तूबर 2019 के लिए डाॅ. सुब्रह्मण्यम स्वामी के नाम से दिल्ली से शिमला के लिए एयर इंडिया की उड़ान का एक टिकट बुक किया। टिकट के अनुसार उड़ान के प्रस्थान का समय सुबह 7:50 था। डॉ. स्वामी उड़ान भरने के लिए दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुंचे, तो उन्हें बताया गया कि उड़ान सुबह 6:50 बजे हो चुकी है। इसके बाद दिल्ली से चंडीगढ़ पहुंचने के लिए उन्होंने अपने खर्चे पर एक और टिकट खरीदा और चंडीगढ़ से एक विशेष चॉपर की व्यवस्था की। दलील दी गई कि विपक्षी पक्षों ने उड़ान के प्रस्थान समय में परिवर्तन के संबंध में यात्री को कोई पूर्व सूचना नहीं दी थी।

इसके बाद जिला आयोग के आदेश से व्यथित होकर अपीलकर्ता ने राज्य आयोग के समक्ष तत्काल अपील दायर की है। उधर, आयोग ने दोनों पक्षों के तर्कों, दलीलों और साक्ष्यों का अध्ययन करने के बाद उपभोक्ता की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार किया है। आयोग ने जुर्माने की रकम शिकायत दर्ज करने की तिथि से वसूली तक 9 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ 45 दिनों में लौटाने के निर्देश दिए है। अदालत ने माना कि यात्री को उपरोक्त असुविधा एयर इंडिया की गलती के कारण हुई, जिन्होंने संबंधित उड़ान में चढ़ने के लिए गलत समय का उल्लेख करते हुए टिकट जारी किया था।

हेलिकॉप्टर की व्यवस्था का नहीं माना हकदार

दलील दी गई कि शिकायतकर्ता ने 1,80,000 रुपये खर्च कर सुब्रह्मण्यम स्वामी को चंडीगढ़ से शिमला लाने के लिए हेलिकॉप्टर की व्यवस्था की, साथ ही 2 लाख रुपये उस समारोह के लिए भी खर्च किए थे जो प्रतिवादियों के उपरोक्त कृत्य और आचरण के कारण बर्बाद हो गया था। आयोग के मुताबिक शिकायतकर्ता इस संबंध में कोई भी दस्तावेजी साक्ष्य रिकॉर्ड पर पेश करने में विफल रहा है। इसलिए शिकायतकर्ता उक्त राशि का हकदार नहीं है।

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