
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 2026 की बोर्ड परीक्षाओं से जुड़े कुछ नए बदलाव किए हैं। अब छात्रों को अपनी अकादमिक पहचान संख्या को स्कूल रिकॉर्ड से जोड़ना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, परीक्षा और रजिस्ट्रेशन फीस में भी थोड़ी बढ़ोतरी की गई है। साथ ही, बोर्ड ने छात्रों के लिए एक AI तकनीक वाला डिजिटल अनुभव केंद्र बनाने की योजना भी बनाई है, जहां वे नए और रोचक तरीकों से पढ़ाई कर सकेंगे।
क्या है अकादमिक पहचान संख्या और क्यों हुई अनिवार्य
हर छात्र का एक स्थायी और यूनिक डिजिटल अकाउंट होगा, जिससे उसकी पूरी शैक्षणिक जानकारी एक जगह संग्रहित रहेगी। CBSE चेयरमैन ने बताया कि इससे डेटा की सटीकता बढ़ेगी और डुप्लीकेशन की समस्या खत्म होगी।अब स्कूलों को कक्षा 9 से 12 तक के सभी छात्रों की APAAR ID बनवानी होगी ताकि परीक्षा से पहले इनका रिकॉर्ड पक्का हो सके।
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“सीबीएसई द्वारा पंजीकरण और परीक्षा शुल्क के रूप में एकत्रित राजस्व का उपयोग परीक्षा संचालन और बोर्ड द्वारा किए जाने वाले अन्य सभी खर्चों के लिए किया जाता है। आय का एकमात्र स्रोत यह शुल्क है जिसे 2020 से संशोधित नहीं किया गया है, जबकि बोर्ड का खर्च विभिन्न कारणों से कई गुना बढ़ गया है। माइग्रेशन सर्टिफिकेट जारी करने से होने वाली प्राप्तियां भी काफी कम हो गई हैं क्योंकि यह अब 2024-25 से अनिवार्य नहीं है।
सीबीएसई परीक्षा शुल्क में कितनी बढ़ोतरी
सीबीएसई ने 2025-26 सत्र से कक्षा 9 से 12 तक के लिए परीक्षा और रजिस्ट्रेशन शुल्क में लगभग 6.66% की बढ़ोतरी की है। बोर्ड के अनुसार, खर्चों में वृद्धि और आय के सीमित स्रोतों के कारण यह संशोधन जरूरी था।
CBSE ने दिल्ली के द्वारका, सेक्टर 23 स्थित इंटीग्रेटेड ऑफिस कॉम्प्लेक्स में एक AI-पावर्ड डिजिटल एक्सपीरियंस सेंटर बनाने की घोषणा की है। यह सेंटर छात्रों को अत्याधुनिक शैक्षणिक सामग्री और तकनीकी वातावरण में सीखने का अनुभव देगा, जिससे उनकी रचनात्मकता और नवाचार की क्षमता बढ़ेगी।