
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को ऐलान किया कि वे केंद्र शासित प्रदेश को फिर से राज्य का दर्जा दिलाने के लिए एक बड़े स्तर पर घर-घर जाकर हस्ताक्षर अभियान चलाएंगे और इस अभियान में एकत्र किए गए दस्तावेजों को सुप्रीम कोर्ट में पेश करेंगे।
बक्शी स्टेडियम में स्वतंत्रता दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य का दर्जा बहाल करने की याचिका पर सुनवाई के दौरान पहलगाम हमले का जिक्र करना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब इस हमले में स्थानीय लोगों की कोई भूमिका नहीं थी, तो उन्हें सजा क्यों दी जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जवाब देने के लिए आठ हफ्तों का समय दिया है। आज से हम इन आठ हफ्तों का उपयोग करेंगे और 90 विधानसभा क्षेत्रों में डोर-टू-डोर सिग्नेचर ड्राइव शुरू करेंगे। अगर लोग दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं होंगे, तो मैं मान लूंगा कि मैं हार गया।
उन्होंने कहा हमें अपनी आवाजे अपने दफ्तरों से उन दरवाजों तक ले जानी होंगी जहां ये फैसले लिए जाते हैं। उमर अब्दुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई का जिक्र करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पहलगाम आतंकी हमले को राज्य का दर्जा बहाल करने के मुद्दे से जोड़ा गया।
उन्होंने कहा क्या पहलगाम के हत्यारे और उनके आका तय करेंगे कि हमें राज्य का दर्जा मिलेगा या नहीं? जब भी हम राज्य के करीब पहुंचते हैं, कोई घटना कर दी जाती है जिससे सब कुछ पीछे चला जाता है। क्या ये न्याय है?
कठुआ से कुपवाड़ा तक, लोग अपने आप सड़कों पर उतर आए थे इस हमले के खिलाफ। फिर भी हमें ही इसकी सजा दी जा रही है। बता दें कि 22 अप्रैल को दक्षिण कश्मीर के पहलगाम के बायसरन इलाके में आतंकवादियों ने 26 लोगों की हत्या कर दी थी, जिनमें ज़्यादातर पर्यटक थे।