पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति 24 साल बाद अब लड़ेंगे संसदीय चुनाव

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी करीब 24 साल के अंतराल के बाद एक बार फिर चुनावी राजनीति में कदम रखेंगे। उन्होंने शनिवार को नेशनल असेंबली का चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। बता दें कि पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव होंगे। 

सिंध के मुख्यमंत्री सैयद मुराद अली शाह की ओर से शनिवार को इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था, जिसमे जरदारी ने भी शिरकत किया। इस मौके पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, आगामी आम चुनाव में वह पुश्तैनी शहर नवाबशाह से प्रत्याशी होंगे। 

जरदारी ने कहा, पहले मैंन लायरी सीट से चुनाव लड़ने का विचार किया था। लेकिन बाद में फैसला किया कि मैं अपने पुश्तैनी शहर का ही देश की संसद में प्रतिनिधित्व करूं। उन्होंने भविष्यवाणी की कि आगामी आम चुनाव में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा। 

गौरतलब है कि जरदारी इससे पहले 1993 में कराची के लायरी सीट से निर्वाचित हुए थे। उन्होंने 1990 में भी इस सीट का प्रतिनिधित्व नेशनल असेंबली में किया था। हालांकि, इसके बाद उन्होंने चुनावी राजनीति में कदम नहीं रखा। वर्ष 2008 में पीपीपी की सरकार बनने पर जरदारी को देश का 11वां राष्ट्रपति बनाया गया। 

भ्रष्ट हुकमरानों को निकाल फेंकेंगे: इमरान 

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान ने रविवार को कहा कि आम चुनावों में वह भ्रष्ट हुकमरानों को निकाल फेंकेंगे। उन्होंने दावा किया कि 25 जुलाई को मतदान के बाद ‘नए पाकिस्तान’ का जन्म होगा। इमरान ने ट्वीट किया, इसमें कोई शक नहीं है कि पीटीआई आगामी चुनाव में अदालत से अयोग्य करार दिए गए पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन को करारी शिकस्त देगी। 

बलूचिस्तान की लाखों महिलाएं नहीं कर सकेंगी मतदान 

पाकिस्तान के हुकमरानों का बलूचिस्तान प्रांत के साथ सौतेल व्यवहार पूरी दुनिया जानती है। अब चुनाव में भी उनकी आवाज खासतौरपर महिलाओं की आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है। विभिन्न गैर सरकारी संगठनों ने रविवार को प्रेस कांफ्रेंस कर आरोप लगाया कि प्रांत की लाखों महिलाएं मतदान नहीं कर पाएंगी, क्योंकि संबंधित एजेंसी उन्हें मतदाता पहचान पत्र ही मुहैया नहीं करा रही। एनजीओ सदस्य सना दुर्रानी, जुलेखा रैसनी, हलीम और हीर मुनीर ने कहा, देश के कुल मतादाताओं में केवल चार फीसदी बलूचिस्तान से हैं। ऐसे में इन मतदाताओं में भी लाखों महिलाओं का नाम मतदाता सूची में पंजीकृत नहीं किया जा रहा है। 

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