देश में तेजी से बढ़ रहा को-लीविंग मार्केट, 2030 तक 10 लाख बेड्स तक पहुंचने का अनुमान : रिपोर्ट

नई दिल्ली। भारत का को-लीविंग मार्केट तेजी से बढ़ रहा है और इसका आकार 2030 तक 10 लाख बेड पर पहुंचने का अनुमान है। यह जानकारी गुरुवार को जारी की गई रिपोर्ट में दी गई।

कोलियर्स इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया कि मौजूदा समय में संगठित बाजार में 3 लाख को-लीविंग बेड हैं। टियर-1 और चुनिंदा टियर-2 शहरों में को-लीविंग बाजार तेजी से बढ़ रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस सेक्टर में तेजी की वजह विशेष रूप से छात्रों और युवा पेशेवरों के बीच बढ़ता शहरीकरण है।

को-लीविंग का चलन शहरों में बढ़ रहा है। यह रोजगार या अच्छी शिक्षा की तलाश में बड़े शहरों का रुख करने वाले युवाओं को बेहतर आवास का विकल्प उपलब्ध कराता है। यह किफायती होते हैं। इसमें एक प्राइवेट बेड होता है और किचन और लीविंग रूम आदि को अन्य के साथ साझा करना होता है।

कोलियर्स इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी के दौरान मांग घटने के बाद को-लीविंग की मांग फिर से तेजी पकड़ रही है।

रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में शहरी भारत में 20 से 34 वर्ष आयु वर्ग की अनुमानित 5 करोड़ प्रवासी आबादी है। संगठित क्षेत्र में को-लीविंग बेड की मांग करीब 66 लाख पर है।

कोलियर्स इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बादल याग्निक ने कहा, भारत का को-लीविंग सेक्टर विकास के एक नए चरण में प्रवेश कर रहा है, जो मजबूत जनसांख्यिकीय बुनियादी बातों और लचीले, समुदाय-केंद्रित जीवन के लिए बढ़ती प्राथमिकता पर आधारित है।

उन्होंने आगे कहा, तेजी से बढ़ते शहरीकरण और छात्रों एवं युवा कामकाजी पेशेवरों सहित प्रवासी आबादी बढ़ने के साथ संगठित किराए के आवास विशेष रूप से को-लीविंग की मांग में मजबूत वृद्धि देखने को मिलेगी।

रिपोर्ट में बताया गया कि प्रमुख भारतीय शहरों में को-लीविंग की जगहें ज्यादा किफायती विकल्प प्रदान करती हैं। अप्रैल 2025 में को-लीविंग की सुविधाओं और वन बीएचके के बीच तुलना से पता चलता है कि किराए में 35 प्रतिशत तक का अंतर है।

Related Articles

Back to top button
X (Twitter)
Visit Us
Follow Me
YouTube
YouTube