बगदाद। दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन ISIS की कमाई के बारे में बेहद ही चौका देने वाला सच सामने आया है। खबर है कि यह संगठन इन दिनों आर्थिक तंगी झेल रहा है। लेकिन इस तंगी के चलते जहन में यह बात लाना कि अब यह संगठन कमजोर हो गया है या इसकी ताकत घट रही हैं मूर्खतापूर्ण होगा। बता दें दो सालों में इस संगठन की कमाई में 65 सौ करोड़ की गिरावट आई है। लेकिन इस गिरावट का असल कारण इतनी बड़ी रकम का उपयोग संगठन की ताकत को बढ़ाने में करना है।
लंदन के किंग्स कॉलेज में सेंटर के डायरेक्टर पीटर न्यूमैन के मुताबिक़ ISIS के पास पैसों की तंगी का मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि ये ग्रुप कम खतरनाक हो गया है।
उन्होंने कहा कि हाल में पेरिस और ब्रूसेल्स में हुए हमलों को देखकर ये साफ होता है कि ये अटैक बेहद कम खर्चीले थे।
वहीं हाल-फिलहाल अमेरिका और यूरोप में किए गए ज्यादातर ISIS के अटैक सेल्फ फाइनेंस थे। इनका खर्चा हमला करने वालों ने ही उठाया था।
उनका कहना है कि इस्लामिक स्टेट के बारे में सबसे बड़ी गलती ये की गई कि उसे आतंकवादी संगठन समझा गया, जबकि ये उससे कहीं बढ़कर है।
इसके खर्चे ज्यादा हैं। जिन इलाकों पर इनका कब्जा है, वहां सड़कों, इलाज, टीचर्स इन्हीं को उठाना है। जबकि अलकायदा के साथ ऐसा नहीं था।
ISIS के खिलाफ ग्लोबल कोलिशन का कहना है कि टेररिस्ट ग्रुप ने इराक में 60 फीसदी और सीरिया में 30 फीसदी इलाके गंवा दिए हैं।
रेडिकलाइजेशन एंड पॉलिटिकल वायलेंस और अकाउंटिंग फर्म ईवाई की ओर से शनिवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में ये बातें सामने आईं।
रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में ISIS का रेवेन्यू 12000 करोड़ था और 2016 में इसका रेवेन्यू 5495 करोड़ रुपए रह गया। दो साल के भीतर इस्लामिक स्टेट के रेवेन्यू में करीब 6500 करोड़ रुपए की कमी आई है।
इसके साथ ही न्यूमैन ने कहा कि इस्लामिक स्टेट की कमाई का मेन सोर्स लूटपाट, अपहरण, वसूली, टैक्स, तेल जैसे जरियों से होती है। इन सब जरियों से हुए कमाई का इस्तेमाल कब्जा किए गए इलाकों को चलाने में किया जाता है।
ये पैसा तब बहुत तेजी से खर्च होता है, जब ISIS इन इलाकों पर पूरी तरह कंट्रोल करना चाहता है और अपने मकसद को लगातार पूरा करने की कोशिश करता है।