आप स्नान करते समय अपने शरीर पर तौलिया या कोई अन्य वस्त्र को लपेटते ही होंगे अगर ऐसा नहीं करते हैं तो आप कितनी बड़ी गलती कर रहे हैं शायद इसका आपको पता भी नहीं होगा। अगर आप यह जान लेंगे कि आखिर क्यों निर्वस्त्र होकर स्नान नहीं करना चाहिए तो आप चाहे बाथरूम में स्नान करें या कहीं और आप जरूर वस्त्र धारण करके ही स्नान करेंगे।
निर्वस्त्र होकर स्नान करने का परिणाम क्या होता है यह जानने से पहले आपको बता दें कि भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं चीर हरण की लीला में लोगों को समझाया है कि कभी भी कहीं भी बिना वस्त्र धारण किए स्नान नहीं करना चाहिए।
पद्मपुराण और श्रीमद्भाग्वत कथा में चीर हरण की कथा का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि गोपियां अपने वस्त्र उतार कर स्नान करने जल में उतर जाती हैं। भगवान श्री कृष्ण अपनी लीला से गोपियों के वस्त्र चुरा लेते हैं और जब गोपियां वस्त्र ढूंढती हैं तो उन्हें वस्त्र नहीं मिलता है। ऐसे समय में श्री कृष्ण कहते हैं गोप कन्याओं तुम्हारे वस्त्र वृक्ष पर हैं पानी से निकलो और वस्त्र ले लो।
निर्वस्त्र होने के कारण गोप कन्याएं जल से बाहर आने में अपनी असमर्थता जताती हैं और बताती हैं कि वह निर्वस्त्र हैं ऐसे में वह जल से बाहर कैसे आ सकती हैं। श्री कृष्ण गोप कन्याओं से पूछते हैं जब निर्वस्त्र होकर जल में गई थी तब शर्म नहीं आयी थी। जवाब में गोप कन्या बताती हैं कि उस समय यहां कोई नहीं था, तुम भी नहीं थे।
श्री कृष्ण कहते हैं यह तुम सोचती हो कि मैं नहीं था, लेकिन मैं तो हर पल हर जगह मौजूद होता हूं। यहां आसमान में उड़ते पक्षियों और जमीन पर चलने वाले जीवों ने तुम्हें निर्वस्त्र देखा। तुम निर्वस्त्र होकर जल में गई तो जल में मौजूद जीवों ने तुम्हें निर्वस्त्र देखा और तो और जल में नग्न होकर प्रवेश करने से जल रूप में मौजूद वरुण देव ने तुम्हें नग्न देखा और यह उनका अपमान है और तुम इसके लिए पाप के भागी हो।