संसद @2016: नोटबंदी के फैसले ने शीतकालीन सत्र को धो डाला

सरकार द्वारा नोटबंदी पर लिया गया बड़ा फैसला संसद के शीतकालीन सत्र के लिए काफी संघर्षशील साबित हुआ। पूरे साल काम-काज का संतुलन बनाने के लिए संघर्ष करने वाली संसद का शीतकालीन सत्र पूरी तरह से नोटबंदी की भेंट चढ़ गया।26_12_2016-parliament3नोबंदी से उग्र हुआ ये राजनीतिक तूफान आगे भी फैल सकता है। आगमी आम बजट और रेल बजट के विलय और तारीखों को लेकर सत्तारूढ़ और विपक्ष में टकराव देखने को मिल सकता है। गौरतलब है कि सरकार ने आम बजट और रेल बजट को एक साथ पेश करना का समर्थन किया है। जिसके बाद आम बजट 28 फरवरी को नहीं बल्कि 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। लेकिन विपक्ष लगातार इस फैसले का विरोध कर रहा है।

हाल ही में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। राहुल के इस बयान ने शीतकालीन सत्र में आग में घी डालने का काम किया था। गुजरा शीतकालीन सत्र संसद के इतिहास में अब तक का सबसे कम कार्य अवधि वाला सत्र साबित हुआ है। पीएम मोदी द्वारा लिए गए फैसलों पर पहले भी विपक्ष के संबंध कभी सौहार्दपूर्ण नहीं थे। लेकिन 8 नवंबर को पीएम द्वारा लिए गए नोटबंदी के फैसले ने खाई ज्यादा चौड़ी कर दी है जो पहले कभी नहीं थी।

विपक्ष शीतकालीन सत्र में लगातार इस बात को कहकर अवरोध पैदा करता रहा कि प्रधानमंत्री परस्पर विरोधी मुद्दे पर न तो लोकसभा में कुछ बोल रहे हैं और न ही राज्यसभा में। जबकि पीएम मोदी और भाजपा ने बार-बार शिकायत की कि विपक्ष पीएम पर गलत पलटवार कर, उन्हें बोलने नहीं दे रहा है और असुविधाजनक सवालों से बचने के लिए बहस से दूर भाग रहा है।

विपक्ष ने आरोप लगाया कि पीएम हर समय संसद से बार कार्यक्रमों को संबोधित कर सकते हैं, लेकिन संसद में आने के लिए उनके पास समय नहीं है। इसके अलावा विपक्ष ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ पक्ष द्वारा जानबूझकर इन दिनों में कोलाहल बनाया जा रहा है, जब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सरकार को विशेष रूप से मोदी को निशाना बना रहे हैं।

सरकार आम बजट और रेल बजट का विलय करने का समर्थन पहले ही कर चुकी है। इस मुद्दे पर पिछले लंबे समय से बहस चलती आ रही है, लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है। सरकार की तरफ से साल 2017-18 का आम बजट 1 फरवरी को पेश कर 28 फरवरी को बजट पेश करने की पुरानी प्रथा को खत्म करने का प्रयास है।

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