शिक्षा विभाग की सख्ती, सभी जिलों से एक लाख 10 हजार नियोजित शिक्षकों के सर्टिफिकेट तलब

एक लाख दस हजार नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्र अभी तक निगरानी को नहीं सौंपे जाने को लेकर बिहार शिक्षा विभाग ने जिलों पर नाराजगी व्यक्त की है। इस बाबत विभाग ने जिलों से शेष सभी प्रमाणपत्र तलब किया है। गौरतलब हो कि पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर सभी नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की निगरानी द्वारा जांच पांच सालों से की जा रही है। ढाई लाख से अधिक शिक्षकों में एक लाख दस हजार के संबंधित प्रमाणपत्र ही निगरानी को नहीं मिले हैं। इस कारण जांच अधूरी है। 

विभाग ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिया है शिक्षकों के शैक्षणिक और प्रशिक्षण प्रमाणपत्र निगरानी के नोडल पदाधिकारी को उपलब्ध करायें और 23 दिसंबर तक हर हाल में इसकी पूरी रिपोर्ट मुख्यालय को भेजें। शिक्षा विभाग ने कहा है कि पंचायत और प्रखंड नियोजन इकाई के सदस्य सचिवों (क्रमश: पंचायत सचिव व प्रखंड विकास पदाधिकारी) तथा निगरानी विभाग के प्रतिनियुक्त पुलिस पदाधिकारी के साथ शिक्षा विभाग के जिला और प्रखंड के अधिकारी अविलंब संयुक्त बैठक करें। अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि सभी प्रमाणपत्र निगरानी विभाग को शीघ्र उपलब्ध हो। 

नौ जनवरी को होनी है हाईकोर्ट में सुनवाई  
प्रमाणपत्रों की जांच मामले को लेकर पटना हाईकोर्ट में नौ जनवरी को अगली सुनवाई होनी है। चार दिनों पहले इस मामले पर हुई सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब-तलब किया है और आखिरी मौका दिया है। मालूम हो कि लोकहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह निर्देश दिया था। दायर याचिका में कहा गया था कि फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर बड़ी संख्या में शिक्षकों का नियोजन हुआ है।

1132 फर्जी प्रमाण पत्र मिले, 419 प्राथमिकी दर्ज 
निगरानी विभाग को जांच के दौरान अबतक 1132 फर्जी प्रमाण पत्र मिले हैं। इस मामले में 419 प्राथमिकी भी दर्ज कराई जा चुकी है। निगरानी का कहना है कि प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं होने से इसमें देर हो रही है। निगरानी विभाग के पुलिस अधीक्षक सुबोध कुमार विश्वास ने बताया कि शिक्षा विभाग से अबतक एक लाख दस हजार फोल्डर प्राप्त नहीं हुए हैं। निगरानी विभाग सभी प्रमाण पत्रों की जांच में जुटा है। वर्ष 2015 में निगरानी विभाग को शिक्षक नियोजन में चयनित शिक्षकों के फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। सभी शिक्षकों के एक-एक प्रमाण पत्रों की जांच संबंधित बोर्ड व विश्वविद्यालयों के माध्यम से करायी जा रही है। इसके लिए बिहार सहित दूसरे राज्यों के बोर्ड व विश्वविद्यालयों से भी संपर्क किया गया है। 

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