दिल्ली एयरपोर्ट पर अक्षय उर्जा का उत्पादन शुरू कर दिया गया है। यहां करीब 8 मेगावाट बिजली पैदा की जा रही है। सौर उर्जा से एयरपोर्ट पर 6 प्रतिशत कुल उर्जा का इस्तेमाल किया जा रहा है। 2020 तक इसकी क्षमता बढ़ाकर 20 मेगवाट करने की योजना है। इस तरह से 12 प्रतिशत बिजली की बचत करने में एयरपोर्ट सक्षम हो जाएगा।
इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (आईजीआई) एयरपोर्ट पर 47 करोड़ रुपये की लागत से 18 एकड़ जमीन पर सौर ऊर्जा का प्लांट लगाया गया है। दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) के अधिकारियों का दावा है कि आईजीआई विश्व का पहला ऐसा एयरपोर्ट हो गया है, जिसका नाम यूनिसेफ के क्लीन डेवलपमेंट मैकेनिज्म में दर्ज किया गया है।
एयरपोर्ट पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में डायल के सीईओ आई प्रभाकर राव ने बताया कि जलवायु परिवर्तन को देखते हुए अक्षय ऊर्जा का प्रयोग बेहद ही अहम हो गया है। इसी को ध्यान में रखकर दिल्ली एयरपोर्ट पर सौर ऊर्जा का उत्पादन शुरू किया गया है।
डायल के इंजीनियरिंग विंग के चीफ प्रोजेक्ट ऑफिसर सुजीत कुमार नाग ने बताया कि यह राह काफी कठिन थी। विमानन सुरक्षा नियमों के मुताबिक, रनवे के दोनों ओर 150 मीटर की दूरी तक कोई भी निर्माण की मंजूरी नहीं है। ऊंचाई की भी सीमा भी तय की गई है।
उर्जा पैनल से निकलने वाले प्रकाश का प्रवर्तन भी पायलट को परेशानी में डाल सकता था। लेकिन, रनवे संख्या 29/11 के पास टैक्सी-वे के बीच किया गया है। यह विश्व का पहला सौर ऊर्जा वाला प्लांट है, जिसे एयरपोर्ट पर एयर साइट पर स्थापित किया गया है।
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