बिहार में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगने के बाद यूपी के जिलों से तस्करी का मामला पूर्व में प्रकाश में आ चुका है, लेकिन इधर विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पुलिस प्रशासन के अधिकारियों की पैनी नजर सड़क एवं जल मार्ग पर बनी हुई है, ऐसे में तस्करों के लिए रेल मार्ग कुछ हद तक सेफ जोन साबित हो रहा है।
बलिया से बिहार के लिए करीब दर्जनभर से ट्रेनें नियमित रूप से चलती हैं। इन ट्रेनों के माध्यम से तस्कर शराब बिहार प्रांत के विभिन्न इलाकों में भेजते हैं। पूर्व में स्टेशनों एवं ट्रेनों में चेकिंग के दौरान मामले पकड़ में आए भी हैं। जिले में शराब तस्करी का गोरखधंधा जोरों पर चल रहा है। आलम यह है कि यह धंधा जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों के अलग-अलग स्थानों पर कुटीर का रूप धारण कर लिया है। हालांकि बीचबीच में पुलिस द्वारा शराब तस्करों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई। बावजूद शराब तस्कर इससे बाज नहीं आए। बिहार में शराब बंद होने के बाद शराब तस्कर सड़क मार्ग छोड़ नदियों एवं ट्रेनों का सहारा लेना चालू कर दिया।
जब पुलिस ने नदी मार्ग पर सख्ती किया तो तस्करों ने ट्रेनों से सप्लाई शुरू कर दिया। कारण कि ट्रेनों में पुलिस द्वारा जांच नहीं की जाती है। जिसके कारण तस्करों के लिए ट्रेन सेफ जोन बनकर रह गया है। पिछले वर्ष आरपीएफ व जीआरपी पुलिस द्वारा माडल रेलवे स्टेशन सहित छोटे स्टेशनों पर अवैध शराब को पकड़ा गया। लेकिन उनका गोरखधंधा आज भी ट्रेन के माध्यम से जारी है। विधान सभा चुनाव के मद्देनजर पुलिस द्वारा सड़क व नदी मार्ग पर सघन चेकिंग किया जा रहा है। जिससे तस्करों के लिए ट्रेन सेफजोन बन गया है।