रोडवेज बसों में यात्रियों की संख्या बेहद कम हो गई है। जिन बसों में रोजाना सवा लाख यात्री सफर करते थे उनमें अब 50 हजार यात्री भी सफर नहीं कर रहे हैं। इससे रोडवेज घाटे में जा रहा है। इसके चलते प्रबंधन ने कुछ बसों के कागज आरटीओ कार्यालय में जमा करने यानी बसों को कुछ अवधि के लिए सरेंडर करने की तैयारी कर ली है। मुरादाबाद से लगभग
20 बसें सरेंडर करने के लिए सूची बनाई जा चुकी है।
रोडवेज प्रबंधन ने दस जनरथ (एसी) और 100 से अधिक अनुबंधित बसों के संचालन पर पहले ही रोक लगा दी गई है। यात्रियों की संख्या इतनी कम है कि रोडवेज 52 सीटों की क्षमता वाली बसों में 25 सवारियां बैठाकर बसें चलाने को तैयार है लेकिन कोरोना काल में सवारियां नहीं मिल रही हैं। नतीजतन अधिकतर बसें पीतलनगरी स्थित रोडवेज की कार्यशाला में खड़ी नजर आ रही हैं। जो बसें बस अड्डों पर खड़ी हैं उन्हें भी यात्री मुश्किल से ही मिल रहे हैं।
चालकों-परिचालकों का कहना है कि उन्हें महीने में चार हजार किलोमीटर बस चलानी पड़ती है। यात्री न होने से ड्यूटी का ज्यादातर समय बस अड्डों पर ही बीत रहा है। ऐेसे में यदि
किलोमीटर पूरे नहीं हो पाएंगे तो वेतन में भी कटौती के आधार पर मिलेगा। वहीं दूसरी ओर इसका सीधा असर यात्रियों पर भी पड़ेगा। पिछलेे साल के लॉकडाउन के कारण असर पड़ा था।
रोडवेज को मेंटेनेंस के लिए भी बजट की कमी से जूझना पड़ रहा है। कार्यशाला में सामान की कमी के कारण बसें कई-कई दिन खड़ी रहती हैं। बसों की मेंटेनेंस ठीक से नहीं हो रही हैै। यदि ऐसी स्थिति रही तो यात्रियों को अगले महीनों तक खटारा बसों में सफर करना पड़ सकता है। अधिकारियों के पास कम बजट होने की बात के अलावा कोई और जवाब नहीं है।
पिछले सत्र में यात्री काफी कम रहे। मुख्यालय से बजट न मिलने के कारण बसों की मेंटेनेंस ठीक से नहीं हो रही थी। त्योहारों ने स्थिति कुछ ठीक की थी लेकिन अब फिर से बहुत कम यात्री बसों में सफर कर रहे हैं। कुछ बसें सरेंडर करने के लिए सूची तैयार की गई है। अनुबंधित और जनरथ बसों का संचालन पहले ही रोक दिया गया है।