इसराइल की साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ द्वारा तैयार पेगासस स्पाईवेयर भारत में इन दिनों खूब चर्चा में हैं। दरअसल भारत में इसके जरिए कई पत्रकारों और चर्चित हस्तियों के फ़ोन की जासूसी करने का दावा किया जा रहा है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने मामले को ”बेहद चिंताजनक” बताते हुए सोमवार को कहा कि सरकारें ऐसी निगरानी तकनीकों पर तत्काल लगाम लगाएं जिससे मानवाधिकारों का उल्लंघन होता हो।
मानवाधिकारों के लिए चिंता
संयुक्त राष्ट्र की तरफ से कहा गया है कि एक वैश्विक मीडिया संघ की जांच से पता चला है कि इजरायल स्थित एनएसओ ग्रुप के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल दुनिया भर के पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विरोधियों की जासूसी करने के लिए किया जा रहा है। ये मानवाधिकारों के लिए चिंताजनक है।
‘ऐसी सर्विलांस तकनीक पर लगाएं रोक’
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट ने एक बयान में कहा, ”विभिन्न देशों में पत्रकारों, मानवाधिकार रक्षकों, राजनेताओं और अन्य लोगों की जासूसी करने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर के उपयोग के बारे में खुलासा बेहद चिंताजनक हैं। सरकारों को अपनी उन निगरानी तकनीकों पर तत्काल लगाम लगाने की जरूरत है, जिनसे मानवाधिकारों का उल्लंघन होता हो। साथ ही उन्हें दूसरों की बनाई गई सर्विलांस टेकनीक के चलते होने वाले “साइबर अटैक” से बचाने के लिए ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।
गौरतलब है कि पेगासस को लेकर मचे हंगामे के बीच पेगासस स्पाईवेयर को तैयार करने वाली इसराइल की साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ने सफाई दी है। एएनआई के सवालों का जवाब देते हुए एनएसओ ने कहा है कि ये एक अंतर्राष्ट्रीय साजिश है।
‘लीक नहीं कर सकते कस्टमर की जानकारी’
एनएसओ से जब पूछा गया कि क्या पेगासस सॉफ्टवेयर भारत सरकार या भारत सरकार से जुड़ी किसी अन्य संस्था द्वारा खरीदा गया है? इसपर जवाब मिला- हम किसी भी कस्टमर का जिक्र नहीं कर सकते, जिन देशों को हम पेगासस बेचते हैं, उनकी सूची सीक्रेट जानकारी है। मैं विशिष्ट ग्राहकों के बारे में नहीं बोल सकता लेकिन इस पूरे मामले में जारी देशों की सूची पूरी तरह से गलत है, इस सूची में से कुछ तो हमारे ग्राहक भी नहीं हैं। हम केवल सरकारों और सरकार के कानून प्रवर्तन और खुफिया संगठनों को बेचते हैं। हम बिक्री से पहले और बाद में संयुक्त राष्ट्र के सभी सिद्धांतों की सदस्यता लेते हैं। किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रणाली का कोई दुरुपयोग नहीं होता है।
‘किसी के फोन की बातें नहीं सुनते हम’
ग्रुप का यह भी कहना है उसके सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कभी भी किसी के फोन की बातें सुनने, उसे मॉनिटर करने, ट्रैक करने और डाटा इकट्ठा करने में नहीं होता है। ग्रुप के मुताबिक पिगासस सॉफ्टवेयर कुछ चुनिंदा देशों की कानूनी एजेंसियों को दिया जाता है जिनका मकसद किसी की जान बचाना और देश की सुरक्षा करना होता है।