राजधानी पटना में सोमवार की रात 12:30 बजे कोरोना नियंत्रण के लिए प्रशासन द्वारा बनाया गया कंट्रोल रूम अचानक ठप हो गया। सभी टेलीफोन बंद हो गये। फिर क्या था, मरीज एवं परिजनों तथा सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल के बीच संबंध स्थापित करने वाला कंट्रोल रूम का ही संपर्क खत्म हो गया। यह समस्या नमामि गंगे परियोजना द्वारा शहर में की जाने वाली सड़क खुदाई के कारण हुई, जिससे बेहद परेशानी का सामना करना पड़ा। मंगलवार शाम सात बजे स्थिति सामान्य हुई और कंट्रोल रूम में टेलीफोन चालू हुए।
छज्जू बाग स्थित डीआरसीसी में कोरोना नियंत्रण के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है। जहां 18 डॉक्टर एवं कर्मचारी तैनात हैं, जिनकी तीन शिफ्टों में ड्यूटी लगाई गई है। यह कंट्रोल रूम 24 घंटे काम कर रहा है। सोमवार की रात 12:30 बजे अचानक कंट्रोल रूम के सभी टेलीफोन बंद हो गए। वहां तैनात डॉक्टर एवं कर्मचारी हैरान हो गए कि आखिर टेलीफोन कैसे बंद हो गए।
लोग परेशान हो गए कि आखिर कंट्रोल रूम का टेलीफोन क्यों नहीं लग रहा है। रात में ही कंट्रोल रूम के अधिकारियों ने टेलीफोन विभाग के अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन किसी से बात नहीं हो सकी। मंगलवार की सुबह कंट्रोल रूम ने टेलीफोन विभाग के अधिकारियों को इसकी सूचना दी। इसके बाद टेलीफोन का केबल कनेक्शन के लिए एक टीम लगाई गई, लेकिन सफलता नहीं मिली।
मंगलवार को पूरे दिन कंट्रोल रूम का टेलीफोन बंद रहा, जिससे लोगों की परेशानी और बढ़ गई लोग टेलीफोन तो करते थे, लेकिन संपर्क नहीं हो पा रहा था। इधर, कंट्रोल रूम में तैनात डॉक्टर एवं कर्मचारी भी लोगों को इसीलिए मदद नहीं कर पा रहे थे क्योंकि लोगों की समस्या की जानकारी उन्हें नहीं मिल पा रही थी।
हर दिन आते हैं 250 कॉल
कोरोना कंट्रोल रूम में प्रतिदिन औसतन 250 टेलीफोन आते हैं। अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर लोगों की समस्याओं का समाधान कर दिया जाता है। अधिकांश टेलीफोन अस्पतालों में भर्ती एवं ऑक्सीजन सिलेंडर की उपलब्धता के लिए आता है। इसलिए लोगों को संबंधित एजेंसी या अस्पताल प्रबंधन से बात करा दी जाती है। इसके अलावा आइसोलेशन सेंटर में भर्ती कराने को लेकर भी लोग सलाह लेते हैं, जबकि कुछ लोग जो होम आइसोलेशन में चिकित्सकीय सलाह लेते हैं।