रविवार सुबह जब लोग सोकर उठे तो प्रतिदिन की तरह घना कोहरा छाए रहने के बजाए धूप निकली हुई थी। लोगों को लगा कि रविवार का दिन अच्छा रहेगा लेकिन सर्द हवा के चलने से धूप की तपिश कम हो गई, गलन में कोई कमी नहीं हुई। जैसे-जैसे सूरज ढलता जा रहा था, गलन में और भी वृद्धि होती जा रही थी।
इससे हाड़कंपाऊ ठंड से बचने के लिए जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक में लोग जगह-जगह अलाव जलाकर ठंड से बचने का प्रयास करते रहे। हालांकि धूप निकलने से बाजारों में कुछ रौनक दिखाई दी। शाम होते-होते ठंड में और भी वृद्धि हो गई। उधर लगातार बढ़ रही ठंड के बावजूद अब तक प्रशासन द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर अलाव जलाने की व्यवस्था नहीं की जा सकी है।
ऐसा तब है, जबकि शासन से लगभग एक पखवारे पूर्व ही 50-50 हजार रुपये सभी तहसीलों को उपलब्ध कराया जा चुका था। ऐसे में आमजन को ठंड से बचने के लिए निजी अलाव की व्यवस्था करने को मजबूर होना पड़ रहा है। जिला मुख्यालय के अकबरपुर रेलवे क्रॉसिंग, बीएन इंटर कॉलेज के समक्ष व नई सड़क पर टेंट लगाकर बने रैन बसेरे में आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने की सुध नहीं है।
न तो अलाव की व्यवस्था की जा सकी है और न ही चिकित्सक की ही ड्यूटी लगाई गई है। टेंट में नीचे से हवा जाती रहती है। ऐसे में रात में यात्रा करने वालों या फिर रिक्शा चालकों को दिक्कत हो रही है। रिक्शा चालक रग्घू व मनबोध ने नाराजगी जताते हुए कहा कि रैन बसेरे से अच्छा रिक्शा ही है। कम से कम वहां अलाव की व्यवस्था तो होनी ही चाहिए थी।
लगातार बढ़ रही ठंड मेंे अधिक समस्या आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को रही है। साधन संपन्न तो किसी प्रकार ठंड की रात गुजार लेते हैं लेकिन उनको भारी मुश्किल हो रहा है। प्रशासन की तरफ से भी उन्हें कोई सुविधा नहीं उपलब्ध कराई जा सकी है।
संबंधित अधिकारी गरीब लोगों को ठंड से बचाने को लेकर कितना गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शासन से बीते दिनों ही कंबल वितरण के लिए प्रत्येक तहसील को ढाई-ढाई लाख रुपये मिलने के बावजूद कंबल खरीद की प्रक्रिया ही प्रारंभ नहीं की जा सकी है।
एडीएम रामसूरत पांडेय ने बताया कि सार्वजनिक स्थलों पर अलाव जलाए जाने की व्यवस्था की गई है। कंबल खरीद की प्रक्रिया शुरू हो गई है। शीघ्र ही खरीद के बाद इसका वितरण आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के बीच किया जाएगा। रैन बसेरे पर समुचित व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है। शीघ्र ही सभी रैन बसेरों का औचक निरीक्षण किया जाएगा।