कोरोना के लगातार बढ़ रहे ग्राफ के चलते कानपुर में ऑक्सीजन का संकट खड़ा हो गया है। अस्पतालों में गंभीर मरीजों के भर्ती होने से मांग में भारी बढ़ोतरी हो गई है। इसकी उपलब्धता अब सिर्फ 24 घंटे की रह गई है। अभी तक बैकअप जरूरत के हिसाब से तीन दिन का रहता था। महामारी के चरम पर होने की वजह से स्वास्थ्य महकमा इसे लेकर हलकान है। अब तक 36 टन ऑक्सीजन विभिन्न कंपनियों की ओर से सप्लाई की गई है। ऐसे में ड्रग विभाग भी अलर्ट हो गया है। रोजाना सुबह-शाम अस्पतालों से डिमांड और सप्लाई की रिपोर्ट लेकर शासन को भेजी जा रही है।
ड्रग इंस्पेक्टर संदेश मौर्या के मुताबिक स्थिति पर नजर रखे हैं। सरकारी के साथ प्राइवेट कोविड अस्पतालों को प्राथमिकता के आधार पर कंपनियों से सप्लाई चेन मेनटेन रखने को कहा है। कोविड अस्पतालों से बढ़ी डिमांड की आपूर्ति भी सुनिश्चित करने को कहा है। उनके मुताबिक लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट के चलते हैलट में आपूर्ति ठीक है। वहां पर्याप्त मात्रा में स्टॉक है मगर उसे मेनटेन रखने को कहा गया है। उधर, कुछ प्राइवेट अस्पतालों के पास खुद के ऑक्सीजन जनरेटर सिस्टम लगे हुए हैं। उससे उन्हें राहत है मगर वहां भी मॉनीटरिंग की जा रही है। हैलट के सीएमएस डॉ. शुभांशु कुमार शुक्ला का कहना है कि यहां फिलहाल ऑक्सीजन है। 82 छोटे सिलेंडर खाली हैं।
कांशीराम अस्पताल में सिलेंडर से सप्लाई
कांशीराम अस्पताल सबसे हाई रिस्क में है। यहां 120 मरीज भर्ती हैं जिसमें 20 आईसीयू में हैं। यहां सिलेंडर से सप्लाई हो रही है। 50 से अधिक जंबो सिलेंडर लग रहे हैं। लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट लगाने की कवायद शुरू की गई थी मगर ठंडे बस्ते में चली गई। सीएमएस डॉ. दिनेश सिंह सचान के मुताबिक डिमांड तो बढ़ी है मगर कमी नहीं है। अभी दो दिन का स्टॉक है।
10 हजार लीटर का टैंकर रहे उपलब्ध
हैलट अस्पताल ने सिलेंडर और लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई कर रही कंपनियों से कहा है कि दोगुना बैकअप बनाए रखने के लिए त्वरित पहल की जरूरत है। अगर 350 छोटे बड़े सिलेंडर आ रहे हैं। इस तरह लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के लिए एक एलएमओ सिलेंडर 24 घंटे हैलट परिसर में मौजूद रहे। इस समय रोजाना एक टैंकर की सप्लाई हो रही है।