देश का आम बजट कुछेक मायने में बिहार के लिए भी खास रहा। राज्य के लिए अलग से किसी योजना या लाभ का जिक्र तो बजट में नहीं रहा, लेकिन बिहार की दो बड़ी पुरानी मांगों को केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में पेश वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए आम बजट में स्वीकार किया है।
पहले की अपेक्षा अधिक कर्ज ले सकेगें राज्य
राज्य अब अपनी विकास योजनाओं को गति देने के लिए पहले की अपेक्षा अधिक कर्ज ले सकेगा। केंद्र द्वारा कर्ज की सीमा में एक प्रतिशत बढ़ोतरी की गई। इसके लिए फिस्कल रेस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट (एफआरबीएम) की नीति में बदलाव किया गया है। राज्य सरकार काफी समय से इसकी मांग कर रही थी। बिहार की इस मांग का लाभ अब देश के दूसरे राज्यों को भी मिलेगा।
अब राज्यों में केंद्र प्रायोजित योजनाएं कम कम होंगी
इसके साथ ही आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्र प्रायोजित योजनाएं कम करने की बात कही है। इसका लाभ बिहार समेत अन्य राज्यों को फायदा मिलेगा। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केंद्र प्रायोजित योजनाओं को राज्यों पर नहीं थोपकर उन्हें अपनी जरूरतों के मुताबिक योजनाएं चलाये जाने की बात कई फोरम पर करते आये हैं। राज्यों के वित्तीय प्रबंधन को दुरुस्त रखने के लिए केंद्र सरकार ने उनकी कर्ज लेने की सीमा तय कर रखी है। फिलवक्त कोई भी राज्य अपने सकल घरेलू उत्पाद (एसजीडीपी) का तीन प्रतिशत तक ही कर्ज ले सकता है। विषम परिस्थितियों में यह साढ़े तीन प्रतिशत तक हो सकता है। बिहार इस मामले में बेहतर वित्तीय प्रबंधन का उदाहरण पेश करता रहा है। मगर कोरोना काल में राजकोष पर खासा अतिरिक्त बोझ बढ़ने से बिहार सहित दूसरे राज्यों का वित्तीय प्रबंधन गड़बड़ा गया।
कर्ज लेने की सीमा तीन से बढ़ाकर चार प्रतिशत
ऐसे में राज्य सरकार ने कर्ज लेने की सीमा को बढ़ाए जाने की मांग केंद्र से की थी। खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे बढ़ाने का अनुरोध केंद्र से किया था। केंद्र सरकार ने इसे पूरा करते हुए कर्ज लेने की सीमा तीन से बढ़ाकर चार प्रतिशत कर दी है। जबकि विषम परिस्थितियों में इसकी सीमा साढ़े चार प्रतिशत तक होगी। अब इसे यदि राशि के नजरिए से देखें तो वर्ष 2019-20 में राज्य सकल घरेलू उत्पाद छह लाख 11 हजार 804 करोड़ था। इस लिहाज से बिहार की अभी तक कर्ज लेने की सीमा 21413 करोड़ है। नए प्रावधान के तहत राज्य अब 27531 करोड़ तक कर्ज ले सकेगा।
मुख्यमंत्री सात निश्चय पार्ट-2 को मिलेगी रफ्तार
कर्ज की सीमा बढ़ने से बिहार अब जो छह हजार करोड़ से अधिक कर्ज ले सकेगा, उससे विकास को नई रफ्तार मिलेगी। खासतौर से आत्मनिर्भर बिहार को अमलीजामा पहनाने को शुरू की गई मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना पार्ट-2 को इससे पंख लग सकेंगे। इस राशि से राज्य में सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा स्वास्थ्य के साथ ही उद्यमिता के विकास और युवाओं को प्रशिक्षण की योजनाओं को अमलीजामा पहनाया जा सकेगा।
नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रमुखता से उठाया था मुद्दा
दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में जून 2019 में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या कम करने का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। उन्होंने कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्य का हिस्सा बढ़ाया जा रहा है। इससे अतिरिक्त बोझ राज्यों पर पड़ रहा है। इसलिए राज्यों को अपनी योजना चलाने को लेकर विकल्प होना चाहिए, जिसमें केंद्र आर्थिक सहयोग करे। ऐसे कई मौकों पर मुख्यमंत्री ने यह विषय रखा है। मालूम हो कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं पर वित्तीय वर्ष 2018-19 में बिहार सरकार ने अपने संसाधन से प्राप्त 21 हजार करोड़ से अधिक राशि खर्च की थी। बिहार में इस तरह की 104 योजनाएं हैं।